हजारीबाग : MGNREGA के तहत अधिक से अधिक लोगों को काम देकर उन्हें रोजगार मुहैया कराना उद्देश्य है।
झारखंड (Jharkhand) में इस दृष्टि से काम करने पर हेमंत सरकार (Hemant Sarkar) का जोर है, लेकिन सरकार के ही अधिकारी, कर्मचारी और बिचौलिए मिलकर इसमें पलीता लगाते रहते हैं।
कहीं पर भी अगर मनरेगा के तहत योजनाओं को पूरा करना है तो उसमें JCB लगा देने के बाद मजदूरों की स्थिति क्या हो सकती है।
हजारीबाग (Hazaribagh) के कटकमसांडी प्रखंड (Katakamsandi Block) की डाड पंचायत में इन दिनों ऐसा ही हो रहा है।
दिन-रात तालाब और डोभा निर्माण का हो रहा काम
बताया जाता है कि यहां मनरेगा संचालित योजनाओं में मजदूरों की जगह जेसीबी का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है।
दिन-रात रात मशीन से डोभा और तालाब का निर्माण किया जा रहा है। अधिकारी और बिचौलियों की मिलीभगत से मजदूरों के हक की धज्जियां उड़ रही है।
इसका खुलासा गांव के ही दिनेश्वर साव ने शुक्रवार को DC को आवेदन देकर किया।
उन्होंने कहा कि पंचायत में पदाधिकारियों के मिलीभगत से कई योजनाओं का कार्य पूर्ण हो जाने के बाद ही प्रशासनिक स्वीकृति दी जाती है, ताकि अधिकारी को अपने पल्लू झाड़ने में आसानी हो।
काम नहीं मिलने पर पलायन करते हैं मजदूर
प्रखंड में काम नहीं रहने पर कई मजदूर रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं, वहीं डाड पंचायत में JCB से खुदाई की जा रही है।
अधिकारी इस संबंध में बिल्कुल अनजान बने रहते हैं। DC को दिए आवेदन में मथुरी प्रसाद मेहता और नितेश कुमार पासवान के जमीन पर डोभा निर्माण योजना में मजदूरों के बजाय JCB से खुदाई करने की शिकायत की गई है।
कटकमसांडी के MGNREGA BPO गोपाल प्रसाद का कहना है कि इस मामले की जांच की जाएगी और अगर योजना की स्वीकृति मिली है और पैसे का भुगतान हुआ है तो दोषी पर कार्रवाई करते हुए केस दर्ज होगा।