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सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर कार्रवाई पर 29 जून तक टली सुनवाई

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई पर सुनवाई 29 जून तक के लिए टाल दिया है।

जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने राज्य सरकार (State government) के हलफनामे का जवाब देने के लिए समय देने की मांग की जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।

इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने हलफनामा दाखिल कर जमीयत पर मामले को गलत रंग देने का आरोप लगाया है।

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार ने कहा है कि जिन पर कार्रवाई हुई उन्हें तोड़ने का आदेश कई महीने पहले जारी हुआ था।

खुद हटा लेने के लिए काफी समय दिया गया था। बुलडोजर की कार्रवाई से दंगे का कोई संबंध नहीं, उसका मुकदमा अलग है।

कोर्ट ने 16 जून को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अवैध निर्माण हटाने में पूरी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।

सुनवाई के दौरान जमीयत उलेमा हिंद की ओर से वकील सीयू सिंह (Advocate CU Singh) ने कहा था कि दिल्ली के जहांगीरपुरी में बुलडोजर की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दिया था।

इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस दिया गया था लेकिन उत्तर प्रदेश में अंतरिम आदेश के अभाव में तोड़फोड़ की गई।

सीयू सिंह ने कहा था कि ये मामला दुर्भावना का है, जिनका नाम FIR में दर्ज है उनकी संपत्तियों को चुन-चुनकर ध्वस्त किया गया है।

किसी भी प्रभावित पक्ष ने याचिका दायर नहीं की

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम की धारा 27 में देशभर में शहरी नियोजन अधिनियमों के अनुरूप नोटिस देने का प्रावधान है।

अवैध निर्माण को हटाने के लिए कम से कम 15 दिन का समय देना होगा, 40 दिन तक कार्रवाई नहीं होने पर ही ध्वस्त किया जा सकता है। पीड़ित नगरपालिका के अध्यक्ष के समक्ष अपील कर सकते हैं और भी संवैधानिक उपाय हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया था कि प्रयागराज और कानपुर में अवैध निर्माण गिराने के पहले नोटिस नहीं दिया गया।

राज्य सरकार (State government) के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सभी प्रक्रिया का पालन किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि हमने जहांगीरपुरी में पहले के आदेश के बाद हलफनामा दायर किया है।

किसी भी प्रभावित पक्ष ने याचिका दायर नहीं की है। जमीयत उलेमा ए हिंद (Ulema e Hind) ने याचिका दायर की है जो प्रभावित पक्ष नहीं है।

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