रांची: झारखंड हाई कोर्ट (JHC) के न्यायमूर्ति एसके द्विवेदी की अदालत ने 19 वर्षीय नेत्रहीन रेप पीड़ित आदिवासी युवती के गर्भपात (Abortion) कराने की मांग मामले में शुक्रवार को रिम्स निदेशक (RIMS Director) को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश देते हुए 12 सितंबर तक सीलबंद रिपोर्ट (Sealed Report) मांगी है।
साथ ही राज्य सरकार को यह निर्देश दिया है कि युवती को शेल्टर होम (Shelter Home) जैसी जगह जहां उसकी देखभाल हो सके, वहां शिफ्ट कराने की व्यवस्था कराई जाए।
हाई कोर्ट ने रिम्स निदेशक (RIMS Director) को निर्देश दिया है कि मेडिकल बोर्ड गठित कर यह सुनिश्चित किया जाए कि युवती का गर्भपात (Abortion) कराना सुरक्षित है या नहीं।
कोर्ट ने युवती की मेडिकल रिपोर्ट (Medical Report) सील बंद लिफाफे में कोर्ट में 12 सितंबर को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर निर्धारित की गई है।
कोर्ट ने पीड़ित की क्रिमिनल रिट याचिका (CWP) पर सुनवाई की। प्रार्थी के अधिवक्ता के कोर्ट से मामले को लेकर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की मांग के बाद हाई कोर्ट ने यह निर्देश जारी किया।
इस संबंध में प्रार्थी के अधिवक्ता ने बताया कि हाई कोर्ट में मामले से संबंधित याचिका दाखिल करने के पूर्व उन्होंने पीड़ित के इलाज के लिए जिले के उपायुक्त और डालसा के समक्ष भी आवेदन दिया था लेकिन इस संबंध में कोई सुनवाई नहीं हुई।
पीड़ित की मेडिकल जांच में 28 सप्ताह का गर्भ होने की बात बताई गई
उल्लेखनीय है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले दिनों पीड़ित की मेडिकल जांच कराई गई थी, जिसमें 28 सप्ताह का गर्भ होने की बात बताई गई। पीड़ित नगड़ी थाना क्षेत्र में रहती हैं।
जब वह नाबालिग (Minor) थी तो वर्ष 2018 में पहली बार उसके साथ रेप की घटना हुई थी। इससे संबंधित पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत भी मामला निचली अदालत में चल रहा है।
दूसरी बार पीड़ित के साथ फिर से रेप (Rape) की घटना हुई। इसके बाद अभी वह 28 सप्ताह की गर्भवती (Pregnant) बताई जा रही है। पीड़ित ने आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाना देते हुए कोर्ट से गर्भपात (Abortion) कराने की गुहार लगाई है।