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झारखंड के राज्यपाल को वापस बुलाने की मांग करेगी माले : दीपांकर भट्टाचार्य

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रांची: माले के National General Secretary Dipankar Bhattacharya (राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य) ने कहा कि भाकपा-माले झारखंड के राज्यपाल को वापस बुलाने की मांग राष्ट्रपति से करेगी।

राज्यपाल रमेश बैस जिस भाषा में बात कर रहे हैं, यह झारखंड और झारखंड की चुनी हुई सरकार के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि हम जल्द ही राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) से वर्तमान राज्यपाल को झारखंड से वापस बुलाने की मांग करेंगे।

भट्टाचार्य शनिवार को पार्टी कार्यालय में प्रेस कांफ्रेस (Press Conference) में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि स्थापना दिवस मनाने की ओर बढ़ रहे झारखंड में केंद्र की सत्ता की सह पर राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश लोकतंत्र के हित में नहीं है।

केंद्र और राज्य सरकारें कारपोरेट बिचौलिया के रूप काम नहीं करे

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ ED की कार्रवाई के सवाल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाकपा माले महासचिव ने कहा कि कानून अपना काम करे, लेकिन दलीय भेदभाव के साथ यह नहीं होना चाहिए।

उन्होंने भ्रष्टाचार के मामले में भाजपा नेताओं पर कार्रवाई नहीं किए जाने पर सवाल करते हुए कहा कि झारखंड, मध्यप्रदेश या गुजरात में भ्रष्टाचार (Corruption) में स्पष्ट संलिप्तता के बावजूद भाजपा नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

भूमि बैंक के लिए आदिवासी बहुल इलाकों में चलाए जा रहे भूमि सत्यापन की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की बात करते हुए भाकपा माले महासचिव ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें कारपोरेट बिचौलिया के रूप काम नहीं करे।

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी आदिवासियों की निजी, सामुदायिक एवं वन भूमि की बेदखली के खिलाफ है और हर स्तर पर भूमि आंदोलन का समर्थन करती है।

मुद्दों पर आंदोलन तेज करने का आह्वान किया जाएगा

भट्टाचार्य ने मनरेगा न्यूनतम मजदूरी (MNREGA minimum wage) में बढ़ोतरी की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि भूखमरी से पीड़ित झारखंड में मनरेगा को भ्रष्टाचार से मुक्त कर बेरोज़गारी पर लगाम लगाने की कोशिश होनी चाहिए।

उन्होंने रामगढ़ में छह नवंबर को आयोजित झारखंड ग्रामीण मजदूर सभा (झामस) के केंद्रीय सम्मेलन के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि झामस के केंद्रीय सम्मेलन (Central Conference) में झारखंड के गरीबों को संगठित कर जल, जंगल जमीन के मुद्दों पर आंदोलन तेज करने का आह्वान किया जाएगा।

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