नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार (Modi government) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि उन्हें समलैंगिक विवाह (Gay Marriage) के मुद्दे पर 7 राज्यों से जवाब मिला है, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले राजस्थान ने इसका विरोध किया है।
वहीं महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मणिपुर, असम और सिक्किम ने कहा कि उन्हें इस मामले पर विचार करने के लिए और समय की जरूरत है। बता दें कि सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने वाली याचिकाओं पर Supreme Court में 9वें दिन सुनवाई चली।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा…
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि इस तथ्य के प्रति सचेत रहना होगा कि विवाह की अवधारणा विकसित हो गई हैं। इस मूल प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहिए कि विवाह खुद संवैधानिक संरक्षण का हकदार है, क्योंकि यह केवल वैधानिक मान्यता का मामला नहीं है।
इसके पहले बुधवार को शीर्ष अदालत ने कहा कि भारतीय कानून किसी व्यक्ति को उसकी वैवाहिक स्थिति के बावजूद बच्चे को गोद लेने की अनुमति देता हैं, जबकि कानून यह मानता है कि एक ‘आदर्श परिवार’ में अपने बायोलॉजिकल बच्चे (Biological Children) होने के अलावा भी स्थितियां हो सकती हैं।
बच्चे का कल्याण सर्वोपरि : NCPCR
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR ) ने समलैंगिक विवाहों (Gay Marriages) को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे शीर्ष अदालत में अपनी प्रस्तुति में तर्क दिया कि लिंग की अवधारणा ‘द्रव्य’ हो सकती है, लेकिन मां और मातृत्व नहीं।
NCPCR ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ में NCPCR ने कहा कि बच्चे का कल्याण सर्वोपरि है।
सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय बाल (National Hair) अधिकार संरक्षण आयोग (Conservation Commission) ने कहा कि कई जजमेंट में कहा गया है कि बच्चे को गोद लेना मौलिक अधिकार नहीं है।
पीठ ने कहा…
सुप्रीम कोर्ट में CJI Chandrachud की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा कि इसकी जांच की जानी चाहिए कि क्या विषमलैंगिकता विवाह का एक प्रमुख तत्व है।
यह कहना सही नहीं है कि संविधान के तहत शादी करने का अधिकार नहीं है। विवाह के मूल तत्वों को संवैधानिक मूल्यों (Constitutional Values) के तहत संरक्षण प्राप्त है।
कोर्ट ने इसके साथ ही कहा कि धर्म की आजादी के तहत विवाह की उत्पत्ति का पता लग सकता है, क्योंकि हिन्दू कानूनों (Hindu laws) के तहत यह पवित्र है और ये कोई अनुबंध नहीं है।