वाराणसी: ज्ञानवापी मां श्रृंगार गौरी प्रकरण (Gyanvapi Maa Shringar Gauri Case) में मंगलवार को जिला Judge Dr. Ajay Krishna Vishwesh की अदालत में सुनवाई हुई।
लगभग एक घंटे विलंब से शुरू हुई सुनवाई के दौरान वादी संख्या-1 राखी सिंह के अधिवक्ता अपनी बहस पूरी नहीं कर पाये। अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 21 जुलाई तय की।
राखी सिंह के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने न्यायालय में पेश किए गए 361 पन्नों पर अपनी दलीलें दीं।
श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन को लेकर दाखिल वाद में वादी पक्ष की बहस पूरी होते ही जिला जज डॉ. विश्वेश तय करेंगे कि सिविल प्रक्रिया संहिता (Civil Procedure Code) के ऑर्डर-7 रूल 11 के तहत मां श्रृंगार गौरी का मुकदमा सुनवाई योग्य है या नहीं।
अंजुमन इंतजामिया ने हमारी प्रॉपर्टी पर अवैध निर्माण कर गुंबद बना लिया
इसके पहले सोमवार को राखी सिंह के अधिवक्ताओं मान बहादुर सिंह, शिवम गौड़ और अनुपम द्विवेदी ने लगभग दो घंटे तक अपनी दलीलें दीं।
उनका कहना था कि वफ्फ ट्रिब्यूनल (Waff Tribunal) में सम्पत्ति को लेकर केवल मुस्लिमों के आपसी विवाद का निपटारा होता है।
मुस्लिम एवं अन्य धर्म के बीच का विवाद ट्रिब्यूनल को सुनने का अधिकार नहीं है। अधिवक्ताओं ने वफ्फ अधिनियम 1995 की धारा-3 (Section-3 of the WAF Act 1995) की व्याख्या कर सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट के कई मामलों में आये निर्णय को भी न्यायालय के सामने नजीर के तौर पर रखा।
अधिवक्ताओं ने कहा कि ये प्रकरण सुनवाई योग्य है। प्रकरण (Waff Tribunal) के दायरे में ही नहीं आता है। बल्कि सिविल सूट के तहत सुना जा सकता है।
अधिवक्ताओं ने कहा कि अंजुमन इंतजामिया (Anjuman Argentiya) ने हमारी प्रॉपर्टी पर अवैध निर्माण कर गुंबद बना लिया।
हर अवैध निर्माण को मस्जिद नहीं कहा जा सकता। यह पवित्र नाम होता है। अधिवक्ताओं ने कहा कि पहले से चली आ रही पूजा-पाठ पर वर्ष 1993 में तत्कालीन राज्य सरकार ने रोक दी थी।
अविमुक्तेश्वर विराजमान की अगली सुनवाई 20 जुलाई को
ज्ञानवापी परिसर में कोर्ट कमीशन की कार्यवाही के दौरान वजूखाने में मिले शिवलिंग की आकृति की पूजा-अर्चना करने के अधिकार को लेकर दाखिल वाद में सिविल जज (Senior Division) की अदालत में मंगलवार को सुनवाई हुई।
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता (Hindu Sena National President Vishnu Gupta) की ओर से अविमुक्तेश्वर विराजमान के नाम से दाखिल वाद में अदालत ने अगली सुनवाई 20 जुलाई को मुकर्रर की।