नई दिल्ली: शिवसेना (Shiv Sena) को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट (SC) ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया। SC ने यह मामला 5 जजों की संविधान बेंच को सौंप दिया है।
चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि संविधान बेंच तय करेगी कि स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव लंबित होने पर भी क्या वह विधायकों की अयोग्यता पर सुनवाई कर सकते हैं। संविधान बेंच के समक्ष यह मामला 25 अगस्त को List होगी।
चीफ जस्टिस (Chief Justice) ने कहा कि संविधान बेंच यह तय करेगी कि Shiv Sena के चुनाव चिह्न पर आयोग अभी अपनी सुनवाई जारी रखे या नहीं क्योंकि आखिरकार चुनाव चिह्न पर फैसला आयोग को ही लेना है, लेकिन 25 अगस्त की सुनवाई तक आयोग इस प्रक्रिया को रोके रखे। पार्टियों के आंतरिक लोकतंत्र और उसमें चुनाव आयोग की भूमिका पर भी संविधान बेंच विचार करे।
साल्वे ने कहा…
इस मामले पर सुनवाई के दौरान शिंदे गुट (Shinde Faction) के वकील हरीश साल्वे ने अयोग्यता को लेकर स्पीकर के अधिकार और प्रक्रिया को पूरा करने से जुड़े कई बिंदुओं को रखा था और उन पर विस्तृत सुनवाई की मांग की थी।
साल्वे ने कहा था कि जब तक MLA पद पर है, तब तक वह सदन की गतिविधि में हिस्सा लेने का अधिकारी है। वह पार्टी के खिलाफ भी Vote करे तो वह Vote वैध होगा।
तब चीफ जस्टिस ने पूछा था कि क्या एक बार चुने जाने के बाद MLA पर पार्टी का नियंत्रण नहीं होता। वह सिर्फ पार्टी के MLA दल के अनुशासन के प्रति जवाबदेह होता है।
उद्धव गुट की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि मामला संविधान पीठ को मत भेजें। सिब्बल ने कहा था कि जो MLA अयोग्य ठहराए जा सकते हैं, वह चुनाव आयोग (Election Commission) में असली पार्टी होने का दावा कैसे कर सकते हैं। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि ऐसा करने से किसी को नहीं रोका जा सकता।
विधानसभा से अयोग्यता एक अलग मसला है
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग (Election Commission) के वकील अरविंद दातार ने कहा था कि अगर हमारे पास मूल पार्टी होने का कोई दावा आता है, तो हम उस पर निर्णय लेने के लिए कानूनन बाध्य हैं।
दातार ने कहा था कि विधानसभा (Assembly) से अयोग्यता एक अलग मसला है। हम अपने सामने रखे गए तथ्यों के आधार पर निर्णय लेते हैं।
उद्धव ठाकरे गुट (Uddhav Thackeray Faction) ने कहा था कि जब तक शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं हो जाता, चुनाव आयोग को तब तक अपनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।
याचिका में कहा गया था कि अभी शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता करवाई का मामला लंबित है, ऐसे में निर्वाचन आयोग (Election Commission) ये तय नहीं कर सकता है कि असली Shiv Sena कौन है।