जयपुर: राजस्थान में राज्यसभा (Rajya Sabha) की चार सीटों पर चुनावी हलचल तेज हो गई है। चार में से दो पर कांग्रेस और एक सीट पर भाजपा की जीत तय मानी जा रही है।
चौथी सीट पर जीत के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों के पास पूरे वोट नहीं है।
कांग्रेस दावा कर रही है कि निर्दलीय एवं अन्य विधायकों के वोटों के चलते वह तीसरी सीट भी जीत जाएगी लेकिन भाजपा भी दूसरी सीट पर अपनी दावेदारी छोड़ने के मूड में नहीं है।
पार्टी ने अंदर ही अंदर यह तय कर लिया है कि कांग्रेस को तीसरी सीट पर वॉक ओवर नहीं दिया जाएगा। पार्टी दो सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसे लेकर कोर कमेटी में प्रारंभिक चर्चा हो चुकी है।
पार्टी को ऐसे ही वरिष्ठ नेता की तलाश है
अब आलाकमान से चर्चा के बाद दूसरी सीट पर चुनाव लड़ने का निर्णय किया जाएगा। पार्टी दूसरी सीट पर चुनाव अपने सिम्बल पर लड़ेगी या किसी को समर्थन देगी, इस पर भी निर्णय होना है।
पिछली बार राज्यसभा चुनावों में पार्टी के वरिष्ठ नेता ओंकार सिंह लखावत को बिना सिम्बल के चुनाव लड़वाया गया था, हालांकि वोट नहीं मिलने से लखावत चुनाव हार गए थे।
राज्यसभा की प्रत्येक सीट पर जीत के लिए प्रथम वरीयता के 41 वोट चाहिए। भाजपा के पास 71 वोट हैं।
इसी में दूसरी सीट पर प्रत्याशी खड़े करने और उसे जिताने के लिए भाजपा को अपने 30 अतिरिक्त वोटों के साथ निर्दलीय या अन्य 11 विधायकों के भी वोट हासिल करने होंगे।
निर्दलीय व अन्य छोटे दलों में सेंध लगाने के लिए भापजा ऐसे प्रत्याशी पर दांव खेल सकती है जो धन-बल और व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर दूसरे खेमे के विधायकों में सेंधमारी कर सके। पार्टी को ऐसे ही वरिष्ठ नेता की तलाश है।
दोनों विधायक भी भाजपा प्रत्याशी के साथ जा सकतेे हैं
राज्यसभा चुनावों में एक सीट पर जीत के लिए 41 वोटों की जरूरत है। भाजपा के पास 71 विधायक हैं। ऐसे में एक सीट पर जीत के बाद उसके पास तीस विधायक बचेंगे।
पार्टी इन तीस विधायकों के वोटों को दरकिनार नहीं करेगी। दूसरी सीट पर जीत के लिए भाजपा को अपने तीस विधायकों के अलावा 11 अन्य विधायकों के वोटों की जरूरत भी पड़ेगी।
प्रदेश में जब सत्ता परिवर्तन की अटकलें चली थीं, उस समय चर्चा थी कि तीन निर्दलीय विधायक भाजपा के साथ हैं।
भाजपा के एक नेता के मुताबिक इस समय पांच से छह निर्दलीय विधायक भाजपा के सम्पर्क में है। आरएलपी के तीन विधायक हैं।
आरएलपी केंद्र की मोदी सरकार में एनडीए का हिस्सा रह चुकी है। किसान आंदोलन के समय आरएलपी ने एनडीए छोड़ दिया था।
केंद्र सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले चुकी है। ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि अब आरएलपी राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को समर्थन करेगी।
बीटीपी के दो विधायक लम्बे समय से राज्य सरकार से नाराज चल रहे हैं। वे सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा भी कर चुके हैं।
ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि ये दोनों विधायक भी भाजपा प्रत्याशी के साथ जा सकतेे हैं।