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महाराष्ट्र में बची शिंदे की सरकार! सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘उद्धव इस्तीफा नहीं देते, तो सरकार बहाल हो सकती थी’

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नई दिल्ली: Supreme Court शिंदे गुट (Shinde faction) को बड़ी राहत मिली है। शीर्ष कोर्ट ने मामले का फैसला सुनाते हुए कहा कि वह विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं लेगा। साथ ही कोर्ट ने स्पीकर को जल्द फैसला लेने का आदेश दिया है।

वहीं कोर्ट ने कहा कि उद्धव (Uddhav) इस्तीफा नहीं देते तो सरकार बहाल हो सकती थी, लेकिन अब उद्धव को दोबारा बहाल नहीं कर सकते। उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया। वहीं कोर्ट ने मामले को बड़ी बैंच के पास भेज दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि व्हिप (whip) को पार्टी से अलग करना लोकतंत्र के हिसाब से सही नहीं होगा। पार्टी ही जनता से वोट मांगती है। सिर्फ विधायक तय नहीं कर सकते कि व्हिप कौन होगा।

महाराष्ट्र में बची शिंदे की सरकार! सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘उद्धव इस्तीफा नहीं देते, तो सरकार बहाल हो सकती थी’-Shinde's government survives in Maharashtra! The Supreme Court said- 'If Uddhav had not resigned, the government could have been restored'

कोर्ट ने माना कि गोगावले को व्हिप मान लेना गलत था

उद्धव ठाकरे को पार्टी विधायकों की बैठक में नेता माना गया था। 3 जुलाई को स्पीकर ने शिवसेना के नए व्हिप को मान्यता दे दी। इस तरह दो नेता और 2 व्हिप हो गए। स्पीकर को स्वतंत्र जांच कर फैसला लेना चाहिए था।

कोर्ट ने माना कि गोगावले को व्हिप मान लेना गलत था क्योंकि इसकी नियुक्ति पार्टी करती है। वहीं कोर्ट ने राज्यपाल को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्यपाल को वो नहीं करना चाहिए, जो ताकत संविधान ने उनको नहीं दी है।

महाराष्ट्र में बची शिंदे की सरकार! सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘उद्धव इस्तीफा नहीं देते, तो सरकार बहाल हो सकती थी’-Shinde's government survives in Maharashtra! The Supreme Court said- 'If Uddhav had not resigned, the government could have been restored'

राज्यपाल को जो भी प्रस्ताव मिले थे वह स्पष्ट नहीं थे

अगर सरकार और स्पीकर (Government and Speaker) अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा टालने की कोशिश करें तो राज्यपाल फैसला ले सकते हैं।

लेकिन इस मामले में विधायकों ने राज्यपाल को जो चिट्ठी लिखी, उसमें यह नहीं कहा कि वह MVA सरकार हटाना चाहते हैं। कोर्ट ने कहा कि किसी पार्टी में असंतोष फ्लोर टेस्ट (Dissent Floor Test) का आधार नहीं होना चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को जो भी प्रस्ताव मिले थे, वह स्पष्ट नहीं थे। यह पता नहीं था कि असंतुष्ट विधायक नई पार्टी बना रहे हैं या कहीं विलय कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि वह अयोग्यता पर फैसला नहीं लेगा। स्पीकर को इस मामले में जल्द फैसला लेने के आदेश दिए गए हैं। कोर्ट ने कहा कि पार्टी में बंटवारा अयोग्यता (Split Disqualification) कार्रवाई से बचने का आधार नहीं हो सकती।

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