रांची : वतन वापसी की गुहार लगाने वाले ताजिकिस्तान (Tajikistan) में फंसे झारखंड के 44 मजदूर (Jharkhand Worker) मंगलवार को वापस अपने घर लौट आये।
ताजिकिस्तान के दुशांबे हवाईअड्डे (Dushanbe Airport) से मजदूरों ने दिल्ली के लिए उड़ान भरी। सोमवार को सभी मजदूर अपने-अपने गृह जिले के लिए रवाना हुए। और मंगलवार को अपने घर पहुंचे।
अधिक ठंड पड़ने के कारण काम करने में असमर्थ थे मजदूर
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के निर्देश के बाद श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता और श्रम विभाग द्वारा संचालित राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष के प्रयास से सभी मजदूरों की सकुशल घर वापसी हुई है।
ये मजदूर गिरिडीह, बोकारो और हजारीबाग के रहने वाले हैं। दिल्ली से 44 श्रमिकों में से हजारीबाग के 36 श्रमिक बस और बाकी 8 श्रमिक ट्रेन से झारखंड पहुंचे।
श्रमिकों ने बताया कि ताजिकिस्तान (Tajikistan) में अत्यधिक ठंड पड़ने के कारण वे काम करने में असमर्थ थे। कंट्रोल रूम ने दोनों देशों के दूतावासों से संपर्क कर इनकी वापसी कराई।
दूतावास के माध्यम से कंपनी द्वारा सभी 44 श्रमिकों का बकाया राशि 16 लाख 4932.90 रुपये का भुगतान कराई गयी। उनके भारत वापसी टिकट और दिल्ली से Jharkhand लौटने का खर्च भी कंपनी ने दिया।
इनकी हुई है घर वापसी
जिनकी घर वापसी हुई है, उनमें हजारीबाग के मंगर महतो, नारायण महतो, कृष्णा कुमार मंडल, दिलीप महतो, विनय महतो, मनोज कुमार महतो, त्रिभुअन महतो, लालदेव महतो, बसंत मंडल, तुलसी महतो, आयोध्या महतो, उमेश महतो, टेकलाल महतो, तालो महतो, बीरू सिंह, संतोष महतो, बालेश्वर महतो, अशोक सिंह, तिलेश्वर महतो, प्रदीप गंझू, रामेश्वर महतो, महाबीर महतो, रीतलाल महतो, गोवेर्धन महतो, मितलाल महतो, मुकेश महतो, टीको महतो, जगदीश महतो, बासुदेव महतो, बरहमदेव महतो, प्रेमचंद महतो, रोहित सिंह शामिल हैं. बोकारो के कमलेश अगरिया और गिरिडीह के बीरेंद्र कुमार, नंदू कुमार महतो, प्रदीप महतो, सोहन महतो, नकुल महतो, गिरी महतो, दशरथ मंडल, नुनुचंद महतो, गणेश महतो, संतोष महतो, तेजो महतो शामिल हैं।