नई दिल्ली :देश को बुलंदियों पर ले जाने वाले Ratan Tata वह शक है जिन्हें शायद ही कोई ना जानता हो, उनके चाहने वालों में बच्चे (Students) से लेकर युवा से लेकर बुजुर्ग सभी शामिल है ऐसे में उनके इंस्टाग्राम (Instagram) के फॉलोअर्स (Followers) 85 लाख है लेकिन वह अपने Instagram पर सिर्फ किसी एक को ही फॉलो करते हैं।
बिजनेस वर्ल्ड (Business World) से लेकर सोशल मीडिया वर्ल्ड (Social Media World) तक Ratan Tata के चाहने वालों की संख्या लाखों-करोड़ों में है।
हालांकि रतन Ratan Tata अपने अस्त-व्यस्त जीवन के बावजूद खास मौकों पर Social Media पर अपने विचार रखना नहीं बिल्कुल नहीं भूलते हैं अपने सोशल मीडिया के थ्रू वह लोगों को अपडेट (Update) भी देते रहते हैं ।
67 फीट की हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट के पास
बता दे कि रतन टाटा धर्मार्थ संगठन (Ratan Tata Charitable Organization) टाटा ट्रस्ट (Tata Trust) को फॉलो करते हैं Tata Trust रतन टाटा के स्वामित्व में है इसकी स्थापना 1919 में हुई थी टाटा ट्रस्ट भारत के अनुदान देने वाले सबसे पुराने फाउंडेशन (Foundation) में से एक है।
आपको बता दें कि साल 18 से 92 में ही Tata Trust का गठन किया गया था। जिसे कल्याणकारी कार्यों के लिए धन की कमी नहीं हो Tata Group की सभी कंपनियों का प्रधान निवेशक टाटा संस (Lead Investor Tata Sons) है और उसकी 67 फीट की हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट के पास है इसकी हिस्सेदारी का डिविडेंडट्रस्ट (Dividend Trust) के पास आता है ताकि परोपकार के लिए धन का अभाव ना हो।
1898 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस का खाका खींचा था
सिर्फ Tata Trust ही नहीं, इसके संरक्षण (Protection) में चलने वाले जेएन टाटा एंडोमेंट, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट, सर रतन टाटा ट्रस्ट (Sir Ratan Tata Trust), लेडी Tata मेमोरियल ट्रस्ट, लेडी मेहरबाई डी. टाटा एजूकेशन ट्रस्ट, जेआरडी और थेल्मा जे।
टाटा ट्रस्ट आदि कुछ ऐसे नाम शामिल हैं, जो दशकों से स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण रक्षा (Environmental Protection), सामुदायिक विकास जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
टाटा समूह ने देश की आजादी (Independence) से बहुत पहले ही राष्ट्र के के बारे में सोचना शुरू कर दिया था।
तभी तो जमशेद जी टाटा ने वर्ष 1898 में Indian Institute of Science का खाका खींचा था, जिसका उद्देश्य विज्ञान की अत्याधुनिक शिक्षा की व्यवस्था करना था।
ISRO जैसे वरदान है भारत के पास
इस ट्रस्ट के लिए उस समय जमशेद जी ने अपनी आधी निजी संपत्ति (Personal Property) दान दे दी थी जिसमें Mumbai के 14 बिल्डिंग और 4 लैंड प्रॉपर्टी थी बाद में इसमें मैसूर के राजा भी जुड़े और उन्होंने बेंगलुरु में 300 एकड़ जमीन दी तब जाकर 1911 में तैयार हुआ।
Indian Institute of Science जिसमें विश्व सरैया सी. वी. रमन और डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा जैसे दिग्गज जुड़े ऐसे संस्था से उस समय England में भी नहीं था सी वी रमन को इसी संस्था में काम करते हुए 1930 में भौतिक में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) मिला था।
इससे पता चलता है कि वह किस तरह के अनुसंधान की सुविधा होगी जो देश को आज उन्नति के मार्ग पर इसरो जैसे वरदान के साथ पूरे विश्व में प्रचलित है।