नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने whatsapp की New Privacy Policy को लेकर प्रतिस्पर्धा आयोग की जांच के खिलाफ Facebook (meta) और Whatsapp की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
मेटा ने 22 जुलाई को कहा था कि प्रतिस्पर्धा आयोग Facebook की केवल इस आधार पर जांच नहीं कर सकता है कि उसका Whatsapp पर भी मालिकाना हक है।
Meta की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि Meta का मालिकाना अधिकार Whatsapp पर है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है के प्रतिस्पर्धा आयोग निजता के सवाल पर जांच करे।
उन्होंने कहा था कि Facebook ने 2014 में Whatsapp को अधिगृहित किया था। भले ही Meta का Facebook और Whatsapp पर मालिकाना हक है लेकिन दोनों उपक्रमों के रास्ते अलग हैं और उनकी नीतियां भी अलग हैं।
रोहतगी ने कहा था कि Facebook के खिलाफ कुछ नहीं मिला है। स्वत: संज्ञान लेकर नोटिस जारी किया गया है।
इसके अलावा Supreme Court 2016 और 2021 के Privacy Policy की पड़ताल कर रही है। ऐसे में किसी प्राधिकार को जांच करने का कोई मतलब नहीं बनता है।
मार्च में हाई कोर्ट ने Facebook (meta) की Privacy Policy पर चिंता जताते हुए कहा था कि सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से User की निजी जानकारी शेयर करने के मामले की पड़ताल की जरूरत है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि लोग अपनी प्राइवेसी को लेकर चिंतित हैं और अधिकतर तो ये तक नहीं जानते की उनका डाटा सोशल मीडिया दिग्गजों की ओर से तीसरे पक्ष को शेयर किया जा रहा है। कोर्ट ने Cambridge Analytica का उदाहरण देते हुए User के डाटा शेयर करने पर चिंता जताई।
केंद्र सरकार ने IT Rules को लागू किया
केंद्र सरकार ने हलफनामा के जरिये नए IT Rules का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा था कि IT Rules के रूल 4(2) के तहत Traceability का प्रावधान वैधानिक है।
केंद्र सरकार ने कहा था कि वो चाहती है कि Social Media Platform Users की Privacy & Encryption की सुरक्षा करें। केंद्र सरकार ने कहा कि Rule 4(2) यूजर की प्राइवेसी को प्रभावित नहीं करता है।
लोगों की निजता की सुरक्षा के लिए सामूहिक सुरक्षा की जरूरत है। केंद्र सरकार ने सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए इन IT Rules को लागू किया है।
केंद्र सरकार ने कहा है कि IT Rules को चुनौती देने वाली Whatsapp और Facebook की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
केंद्र ने कहा है कि Whatsapp और Facebook दोनों विदेशी कंपनियां हैं, इसलिए उन्हें संविधान की धारा 32 और 226 का लाभ नहीं दिया जा सकता है।
High Court ने 27 अगस्त, 2021 को वाली Whatsapp और Facebook की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।
Facebook की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने IT Rules में Traceability के प्रावधान का विरोध करते हुए कहा था कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
हरीश साल्वे ने कहा…
9 जुलाई 2021 को Whatsapp ने कोर्ट को बताया था कि वो अपनी New Privacy Policy को फिलहाल स्थगित रखेगा।
Whatsapp की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया था कि जब तक Data Protection Bill नहीं आ जाता तब तक उसकी New Privacy Policy लागू नहीं की जाएगी।
जस्टिस नवीन चावला की सिंगल बेंच ने 22 अप्रैल, 2021 को Whatsapp और Facebook की याचिका खारिज कर दी थी। इस आदेश को दोनों कंपनियों ने डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी है।
सिंगल बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान Whatsapp की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि Whatsapp की Privacy Policy पर प्रतिस्पर्द्धा आयोग को आदेश देने का क्षेत्राधिकार नहीं है।
इस मामले पर सरकार को फैसला लेना है। उन्होंने कहा था कि Whatsapp की New Privacy Policy युजर्स को ज्यादा पारदर्शिता उपलब्ध कराना है।
प्रतिस्पर्धा आयोग ने कहा था कि ये मामला केवल Privacy तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये Data तक पहुंच का है। उन्होंने कहा था कि प्रतिस्पर्धा आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार के तहत आदेश दिया है
उन्होंने कहा था कि भले ही Whatsapp की इस नीति को Privacy Policy कहा गया है लेकिन इसे मार्केट में अपनी उपस्थिति का बेजा फायदा उठाने के लिए किया जा सकता है।