नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (SC) से आग्रह किया है कि वो देश के नौ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा किये जाने की मांग पर जवाब दाखिल करने के लिए समय दे।
केंद्र सरकार ने SC में दाखिल हलफनामे में कहा है कि कई केंद्र सरकारों (Central governments) ने इस मामले पर अपना पक्ष नहीं रखा है, इसलिए इस मामले पर सुनवाई टाल दी जाए। इस मामले पर सितंबर के पहले सप्ताह में सुनवाई होनी है।
Central Government ने कहा है कि नगालैंड, पंजाब, मेघालय, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश (UP) के साथ बैठकें की हैं।
इसके अलावा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से भी गृह मंत्रालय समेत दूसरे विभागों के जरिये Input मंगाए गए हैं। इन राज्यों ने अपना जवाब देने के लिए कुछ वक्त मांगा है।
याचिकाकर्ता देवकीनंदन ठाकुर से कहा था कि
उल्लेखनीय है कि आठ अगस्त को SC ने इस मामले के एक याचिकाकर्ता देवकीनंदन ठाकुर से कहा था कि वो कोई ठोस उदाहरण Court के सामने रखे, जिसमें किसी राज्य विशेष में कम आबादी होने के बावजूद हिंदुओं को अल्पसंख्यक का वाजिब दर्जा मांगने पर न मिला हो।
Court ने साफ किया था कि याचिकाकर्ता की ओर से ठोस उदाहरण रखने की सूरत में हम उस पर विचार कर सकते हैं, पर हम हिंदुओं को उनकी कम आबादी वाले राज्यों में अल्पसंख्यक नहीं करार दे सकते हैं।
इस मसले पर BJP नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने भी अर्जी दाखिल की है। दोनों की याचिकाओं पर कोर्ट एक साथ सितंबर के पहले हफ्ते में सुनवाई करेगा।
याचिका में कहा गया है कि नौ राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुके हैं लेकिन फिर भी वो अपने पसंद के शैक्षणिक संस्थान नहीं खोल सकते हैं जबकि संविधान अल्पसख्यंकों को ये अधिकार देता है।
याचिका में जिन 9 राज्यों में हिंदुओं के अल्पसंख्यक होने का हवाला दिया गया है, उनमें लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर शामिल हैं।
याचिका में कहा गया है कि लद्दाख में एक फीसदी, मिज़ोरम में 2.75 फीसदी, लक्षद्वीप में 2.77 फीसदी, कश्मीर में 4 फीसदी, नगालैंड में 8.74 फीसदी, मेघालय में 11.52 फीसदी, अरुणाचल में 29 फीसदी, पंजाब में 38.49 फीसदी और मणिपुर में 41.29 फीसदी हिंदू आबादी है।