नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव भले ही कम होता दिख रहा हो, लेकिन भारतीय वायु सेना अपनी ताकत में इजाफा करने के काम में जुटी है।
भारत नए साल में लंबे समय से लंबित 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक के दो सैन्य विमान सौदों की डील फाइनल करने के लिए तैयार है।
रक्षा मंत्रालय ने 2021 के एजेंडे में ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत यूरोपियन कंपनी एयरबस से 56 मीडियम लिफ्ट मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-295 परिवहन विमान की खरीद को सूचीबद्ध किया है।
इन 56 विमानों में से 40 एयरक्राफ्ट भारत में टाटा कंपनी बनाएगी।
इसके अलावा 83 स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर तेजस एमके 1-ए का सौदा एचएएल से अगले माह बेंगलुरु में एयर शो एयरो इंडिया में होने की उम्मीद है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक मीडियम-लिफ्ट मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के लिए यूरोप की एविएशन कंपनी ‘एयरबस’ से बातचीत चल रही है।
हालांकि वर्ष 2015 से रक्षा मंत्रालय इस सौदे को लेकर बातचीत कर रहा है लेकिन अब यह सौदा पूरा होने के करीब है।
यूरोपियन कंपनी से 11,929 करोड़ रुपये में 56 सी-295 एयरक्राफ्ट खरीदने का यह प्रस्ताव अभी रक्षा मंत्रालय के वित्त विभाग के पास है।
प्रस्ताव के मुताबिक इन 56 सी-295 एयरक्राफ्ट्स में से 16 विमानों की आपूर्ति अनुबंध होने के बाद दो वर्षों में कंपनी करेगी। बाकी 40 एयरक्राफ्ट भारत में ही तैयार किए जाएंगे।
भारतीय रणनीतिक साझेदार बनने के लिए टाटा, अडानी और महिंद्रा समूह ने दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन सी-295 परियोजना में भारतीय उत्पादन एजेंसी के रूप में टाटा को भागीदार बनाया जाएगा।
यह पहला ऐसा सौदा होगा जिसमें प्राइवेट कंपनी की इतने बड़े स्तर पर भागीदारी होगी जिससे रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
एयरबस कंपनी के मुताबिक सी-295 एयरक्राफ्ट करीब 6 टन का पेलोड के साथ करीब 11 घंटे तक उड़ान भर सकता है। यह 71 सैनिक या फिर 50 पैराट्रूपर्स को एक साथ ले जाने में सक्षम है।
भारतीय वायुसेना के मौजूदा एवरो-748 एयरक्राफ्ट काफी पुराने पड़ चुके हैं।
इस वजह से वायुसेना को पैरा-जंप के लिए हेवी-लिफ्ट एयरक्राफ्ट या सी-130जे सुपर हरक्युलिस का इस्तेमाल करना पड़ता है।
मीडियम-लिफ्ट मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-295 भी एवरो-748 की तरह ही डबल इंजन वाला टर्बोप्रोप एयरक्राफ्ट है, इसीलिए इसकी जगह भारतीय वायुसेना एयरबस के सी-295 विमानों को खरीदने की इच्छुक है।
पिछले साल डिफेंस एक्सपो के दौरान एयरबस ने जानकारी दी थी कि अगर ये समझौता हो जाता है तो टाटा कंपनी के साथ मिलकर 40 सी-295 एयरक्राफ्ट्स का निर्माण भारत में ही किया जाएगा।
‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियां कर रही भारतीय वायुसेना के लिए 83 लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस एमके-1ए की डील एयरो इंडिया-2021 के दौरान पूरी होगी।
यह स्वदेशी सैन्य उड्डयन सेवा में अब तक का सबसे बड़ा सौदा होगा।
वायुसेना ने 40 तेजस विमानों का ऑर्डर पहले ही एचएएल को दे रखा है जिनमें से 18 विमान मिल चुके हैं और वायुसेना की सेवा में हैं। इन 40 विमानों में 43 तरह के सुधार किये जाने हैं।
इन सुधारों में हवा से हवा में ईंधन भरने, लंबी दूरी की बियांड विजुअल रेंज मिसाइल, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के लिए दुश्मन के रडार और मिसाइलों को जाम करने के लिए सिस्टम लगाया जाना है।
अनुबंध के बाद सभी 83 मार्क-1ए लड़ाकू विमान 3 साल के भीतर वायुसेना को मिल जाएंगे। भारतीय वायुसेना ने तेजस के लिए दो स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग डैगर्स’ और ‘फ्लाइंग बुलेट्स’ बनाई हैं।
भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने 27 मई को कोयम्बटूर के पास एयरफोर्स स्टेशन सलूर में 18 स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग बुलेट’ का परिचालन शुरू किया।
वायुसेना ने 2030 तक अपनी मौजूदा 30 स्क्वाड्रन को बढ़ाकर 38 करने का फैसला लिया है।
इन 123 तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों के बाद वायुसेना 170 तेजस मार्क-2 या मध्यम वजन के फाइटर जेट्स को और अधिक शक्तिशाली इंजन और उन्नत एवियोनिक्स के साथ अपने बेड़े में शामिल करना चाहती है।
रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने भारतीय वायुसेना के लिए 83 स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान के एमके-1ए वर्जन की खरीद के लिए मार्च में मंजूरी दी थी।
रक्षा मंत्रालय की लागत समिति ने इस सौदे का अंतिम मूल्य 45 हजार करोड़ रुपये सभी प्रतिष्ठानों और लॉजिस्टिक पैकेजों समेत निर्धारित किया है।
इस खरीद से ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि डीआरडीओ के अंतर्गत विमान विकास एजेंसी (एडीए) ने इसका स्वदेशी डिजाइन तैयार किया है। इसे हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) निर्मित कर रही है।