नई दिल्ली: गैस चोरी मामले (Gas Theft Cases) में Reliance Industries को बड़ी राहज मिली है। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उस पर गैस चोरी के आरोपों को नकारने वाले मध्यस्थता प्राधिकरण (Arbitration Authority) के फैसले को बरकरार रखा।
प्राधिकरण के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार (Central Government) ने याचिका दी थी, जिसे हाई कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दिया।
हाई कोर्ट ने माना कि मौजूदा विवाद को लेकर ट्रिब्यूनल (Tribunal) का फैसला तथ्यों पर आधारित सबसे सटीक संभावित फैसला है, जिसमें दखल देने की उसे कोई जरूरत नहीं।
मिनिस्ट्री ऑफ पेट्रोलियम ऐंड नेचुरल गैस की अपील को ठुकरा दिया
असल में प्राधिकरण (Arbitration Tribunal) ने फैसले में कहा था कि Reliance को कॉन्ट्रैक्ट वाले इलाके के अंतर्गत पेट्रोलियम ऑपरेशन चलाते हुए सभी हाइड्रोकार्बन उत्पन्न करने का अधिकार था, जिसमें बगल के ब्लॉक से माइग्रेट होकर आई Hydrocarbons भी शामिल हो सकता है।
जस्टिस अनूप जयराम भंभानी (Anoop Jairam Bhambhani) ने ट्रिब्यूनल के उक्त फैसले के खिलाफ मिनिस्ट्री ऑफ पेट्रोलियम ऐंड नेचुरल गैस की अपील को ठुकरा दिया।
कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता प्राधिकरण का फैसला ही इसमें एक तथ्यात्मक नतीजा है, जिसके अलावा किसी दूसरे अनुमानित नतीजे के बारे में यह कोर्ट नहीं सोच सकता।
यह पूरी तरह से तर्कसंगत, सुसंगत और तार्किक फैसला: कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि यह पूरी तरह से तर्कसंगत, सुसंगत और तार्किक फैसला है। खासतौर पर कॉन्ट्रैक्ट में शामिल दो पक्षों के बीच PAC में शामिल एक विशुद्ध रूप से कमर्शल लेनदेन पर विचार करते हुए।
सार में अपनी राय रखते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि यह कहना काफी है कि आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल ने जो नजरिया अपनाया, वही निश्चित रूप से एक संभावित रुख है, जिसमें दखल की कोई जरूरत नहीं है।
केंद्र सरकार ने मध्यस्थता प्राधिकरण के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी
मिनिस्ट्री ऑफ पेट्रोलियम ऐंड नेचुरल गैस ने Reliance Industries, Nico और ब्रिटिश पेट्रोलियम एक्सप्लोरेशन (ALPHA) को प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट (PSR) के तहत आंध्र प्रदेश में कृष्णा-गोदावरी बेसिन के पास एक Block से नेचुरल गैस का पता कर उसे जमा करने का ठेका दिया।
इसमें Reliance Operator था। केंद्र सरकार ने 24 जुलाई 2018 में घोषित मध्यस्थता प्राधिकरण के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।