नई दिल्ली: भारत में बड़ी आंत का कैंसर (Colon Cancer) सबसे ज्यादा होने वाले 10 प्रकार के Cancer में शामिल है।
मोटापे और कम मोटे (Obese And Underweight) अनाज वाली खुराक को इस प्रकार के कैंसर का कारण माना जाता है।
कुछ मामलों में यह आनुवंशिक भी होता है। टारगेटेड थेरेपी (Targeted Therapy) यानी लक्षित चिकित्सा और इम्यूनोथेरेपी यानी प्रतिरोधी चिकित्सा, बड़ी आंत के कैंसर (Colorectal Cancer) में उपचार के नए तथा असरदार तरीके हैं।
टारगेटेड थेरेपी (Targeted Therapy) में दवाएं कैंसर वाली जगह को लक्ष्य बनाती हैं और पारंपरिक कीमोथेरेपी की दवाओं के साथ दी जाती हैं ताकि कैंसर की अधिक कोशिकाएं (Cells) मर जाएं और रोगी के बचने की संभावना बढ़ जाए।
आमतौर पर बड़ी आंत के कैंसर में उपचार के लिए सर्जरी ही चुनी जाती है
टारगेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी ने बड़ी आंत के कैंसर के इलाज को असरदार बना दिया है। प्रतिरक्षा चिकित्सा (इम्यूनोथेरेपी) की दवाएं शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को ताकत देती हैं और प्रतिरक्षा तंत्र स्वयं ही कैंसर की कोशिकाओं से लड़ता है, जिससे दुष्प्रभाव लगभग खत्म हो जाते हैं।
केवल कीमोथेरेपी से रोगियों के बचने की दर कम थी, लेकिन टारगेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी (Targeted therapy and immunotherapy) के साथ बचने की दर बढ़ गई है।
आमतौर पर बड़ी आंत के कैंसर में उपचार के लिए सर्जरी ही चुनी जाती है, लेकिन रेडिएशन ट्यूमर के आकार को कम करने में मदद करता है, जिससे सर्जन को ऑपरेशन करने में आसानी होती है और बीमारी फैलने की आशंका कम हो जाती है। इससे बचने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।”
सुस्त और गतिहीन जीवनशैली भी बड़ी आंत के कैंसर का कारण है
कीमोथेरेपी रेडियो सेंसिटाइजर की तरह काम कर रेडिएशन के प्रभाव को बढ़ा देती है, जिससे रेडिएशन ऊतकों में गहराई तक पहुंच जाता है।
रेडिएशन (Radiation) में काफी प्रगति हो चुकी है। पहले रेडिएशन के बहुत दुष्प्रभाव होते थे लेकिन अब रेडिएशन की ज्यादा केंद्रित तकनीक ‘कन्फॉर्मल रेडिएशन’ (Conformal Radiation) हैं, जिनके जरिये हम रेडिएशन को ट्यूमर की आकृति के मुताबिक सीमित कर सकते हैं।
बड़ी आंत के कैंसर से बचने के लिए लोगों को रेशे की अधिक मात्रा वाला भोजन लेना चाहिए और अल्कोहल तथा धूम्रपान (Alcohol And Smoking) से दूर रहना चाहिए। चिकित्सकों (Physicians) ने कहा कि सुस्त और गतिहीन जीवनशैली भी बड़ी आंत के कैंसर का कारण है।