Supreme Court Reprimanded ED: देश के शीर्षस्थ न्यायालय सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक मामले की सुनवाई करते हुए एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) को जमकर फटकार लगाई।
कोर्ट ने कहा है कि जमानत देने की सख्त शर्तों को लागू करके किसी को लंबे समय तक जेल में रखना उचित नहीं है। PMLA, UAPA और NDPS ऐक्ट के मामलों में जल्द से जल्द निपटारा करने की जरूरत है।
सुनवाई में देरी और जमानत देने में सख्त नियमों को लागू करके आरोपी को जेल में ही कैद रखना ठीक नहीं है।
15 महीने से जेल में हैं मंत्री
तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी (Senthil Balaji) की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज की बेंच ने कहा कि कार्यपालिका को भी उन कानूनों पर ध्यान देना चाहिए जिनमें आरोपी पर ही खुद को निर्दोष साबित करने की जिम्मेदारी होती है।
कोर्ट ने कहा कि यह मामला 2012-2016 के दौरान का है जब सेंथिल बालाजी परिवहन मंत्री हुआ करते थे। व 15 महीने से जेल में हैं और फिलहाल निकट भविष्य में इस मामले का हल निकलता दिखाई नहीं दे रहा है।
ऐसे में उन्हें जमानत दी जा रही है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में 2 हजार आरोपी और 500 गवाह हैं। ऐसे में मामले की सुनवाई और फैसले में ज्यादा वक्त लगने की संभावना है।
मंत्री को देनी होगी हाजिरी
कोर्ट ने कहा कि अब तक के साक्ष्यों को देखें तो सेंथिल बालाजी के खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चले कि उनके बैंक अकाउंट में 1.34 करोड़ रुपये जमा किए गए। यह भी नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई केस नहीं बनता।
वहीं ED को जमानत के सख्त प्रावधान धारा 45 (1) (II) को इस्तेमाल करने की अनूमति भी नहीं दी जा सकती क्योंकि आरोपी लंबे समय से हिरासत में हैं।
बेंच ने कहा कि बालाजी को हर सोमवार और शुक्रवार को ED के पास हाजिरी देनी होगी। वहीं मनी लॉन्ड्रिंग केस (Money laundering case) में सुनवाई के दौरान उन्हें कोर्ट में भी हाजिर रहना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मंत्री रहते हुए बालाजी पर आरोप लगे थे। वहीं न्याय व्यवस्था में जमानत एक नियम है और जेल अपवाद है।