रांची: प्रदेश कांग्रेस (Congress) और झामुमो (JMM) के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में प्रतिनिधिमंडल ने बिना चुनाव आयोग (Election Commission) की अनुमति के रविवार को भाजपा की ओर से आयोजित हुई विश्वास रैली को आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का मामला बताया है।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद (Rajeev Ranjan Prasad) ने कहा कि चुनाव में संभावित हार को देखकर भाजपा ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने से भी परहेज नहीं किया।
उन्होंने कहा कि राज्य के जन जातीय समुदाय (Tribal community) के द्वारा नकारे जाने के बाद धन बल का उपयोग कर झारखंड के भोले-भाले आदिवासियों को भरमाने की कोशिश की है वो भी चुनाव आयोग की अनुमति के बगैर। इसलिए विधि सम्मत कार्रवाई आवश्यक है।
प्रदेश भाजपा के सभी नेताओं ने भी मंच साझा किया
झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा ने कल की रैली में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन कर यह बता दिया कि भाजपा संविधान या संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान नहीं करती है।
चुनाव आयोग मामले को गंभीरता से लेते हुए विधि सम्मत कार्रवाई करे, हमारा यही आग्रह है।
उन्होंने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन सौंपकर मुख्य निर्वाचन अधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराया है कि मांडर विधानसभा उपचुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है।
नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में रविवार को रांची के मोरहाबादी मैदान में भाजपा द्वारा जनजातीय समुदाय को केन्द्रित कर विश्वास रैली का आयोजन किया गया, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए। साथ ही प्रदेश भाजपा के सभी नेताओं ने भी मंच साझा किया।
इस संदर्भ में कांग्रेस, झामुमो का संयुक्त शिष्टमंडल यह जानना चाहता है कि क्या चुनाव आयोग से इस रैली के आयोजन की अनुमति ली गई थी अथवा नहीं।
क्योंकि मंच से वक्ताओं के द्वारा सीधे-सीधे मांडर चुनाव को प्रभावित करने के दृष्टिकोण से लगातार उद्बोधन किया गया।
उन्होंने बताया कि जेपी नड्डा द्वारा मांडर विधानसभा चुनाव (Mandar assembly election) में भाजपा उम्मीदवार गंगोत्री कुजूर का नाम लेकर कमल खिलाने को लेकर विश्वास दिलाने की अपील किया जाना पूरी तरह से आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के दायरे में आता है।
अतः प्रदेश कांग्रेस एवं झामुमो का यह शिष्टमंडल चुनाव आयोग से आग्रह करता है कि अगर इस रैली की अनुमति विधि-सम्मत तरीके से ली गई तो इस रैली का पूरा खर्च घोषित उम्मीदवार के चुनावी खर्च में शामिल किया जाए।
अगर बगैर अनुमति के चुनावी प्रक्रिया (Election Process) जारी रहने के दरम्यान इतना बड़ा आयोजन मतदाताओं को प्रभावित करने के दृष्टिकोण से किया गया है तो यह पूरी तरह से आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में आता है। इस पर चुनाव आयोग के द्वारा विधि-सम्मत कार्रवाई की जाए।