रांची : हर नागरिक का कर्तव्य होता है कि वह सिर्फ अधिकारों को ही न समझे, देश की संपत्ति उसी की संपत्ति है और उसकी रक्षा की जिम्मेदारी भी उस पर है इस दायित्व का एहसास नहीं होगा तो राष्ट्रीय संपत्ति का रख-रखाव सिर्फ सरकार के बूते संभव नहीं है।
अगर भारतीय रेलवे ने नई तकनीक और नई सुविधाओं से संपन्न वंदे भारत ट्रेन (Vande Bharat Train) आपके लिए दी है, तो आपकी जिम्मेदारी बनती है कि उसके साथ सलूक भी आप उसी के अनुरूप सम्मानजनक तरीके से करें। वंदे भारत ट्रेन को पैसेंजर ट्रेन मत बनने दें।
ट्रेन में ड्यूटी करने वाले सरकारी कर्मी भी लापरवाह
यह कितना दुखद है कि इह ट्रेन में सफर करने वाले यात्री बोगियों में सेंसर लगे दरवाजा पर खड़े होकर बात करने लगते हैं। इस दौरान गेट में लगे सेंसर आवाज करते रहते हैं, फिर भी गेट से नहीं हटते।
ऐसे में सेंसर के खराब होने की संभावना तो रहेगी ही। उससे भी खराब बात यह है कि ट्रेन में सफर करने वाले रेलवे कर्मचारी या आरपीएफ जवान भी ऐसे करने से यात्रियों को नहीं रोकते।
नियमों का पालन करें
दूसरी बड़ी समस्या यह देखी जा रही है कि वंदे भारत ट्रेन स्टेशन से खुलने से पहले दरवाजा बंद और यात्रियों के परिजनों को ट्रेन से उतर जाने का अनाउंसमेंट होता है, लेकिन परिजन नजरअंदाज कर देते हैं। जब ट्रेन खुलती है तो दौड़कर उतरना चाहते हैं, लेकिन गेट लॉक होने के कारण फंस जाते हैं। दूसरे स्टेशन पर पहुंचने पर जुर्माना भरना पड़ रहा है।
DRM जसमीत सिंह बिंद्रा ने स्पष्ट किया है कि नियमों का पालन नहीं करनेवालों पर जुर्माना के अलावा अन्य कार्रवाई भी की जाएगी। वंदे भारत ट्रेन में काम कर रहे रेल कर्मचारियों को निर्देश दिया जाएगा कि ऐसा करने वाले यात्री या उनके परिजनों को रोका जाए।