रांची: शिव शिष्य परिवार के जनक स्वामी हरिंद्रानंद (Swami Harindrananda) का रविवार को निधन (Death) हो गया, वह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। पहले रांची के पारस अस्पताल में उपचाराधीन रहे।
उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। वहां से एक दिन पूर्व Pulse Hospital में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने तड़के तीन बजे अंतिम सांस ली।
स्वामी हरिंद्रानंद जी के देशभर में करोड़ों अनुयायी हैं। बिहार प्रशासनिक सेवा से अवकाश ग्रहण के बाद वे पूरी से धर्म-अध्यात्म को समर्पित हो गए थे। हालांकि, अध्यात्म के प्रति उनकी गहरी रुचि बचपन से ही थी।
बताया जाता है कि दो दिन पहले दिल का दौरा पड़ने की वजह से उन्हें Paras Hospital में दाखिल कराया गया था। उनके हार्ट में ब्लॉकेज पाया गया था।
एंजियोग्राफी (Angiography) के लिए उन्हें बाहर ले जाने की तैयारी चल रही थी, लेकिन इसके पूर्व ही उन्होंने देह त्याग दिया। एक दिन पूर्व ही उन्हें पल्स अस्पताल में दाखिल कराया गया था।
सोमवार को भी सुबह छह बजे से 11 बजे तक लोग अंतिम दर्शन कर सकेंगे
1948 में कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को बिहार के सिवान से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित अमलोरी गांव (Amlori Village) में जन्मे हरिंद्रानंद जी का बचपन से ही अध्यात्म की ओर झलक था। उन्होंने शिव गुरु का संदेश करोड़ों लोगों तक पहुंचाया।
हरिंद्रानंद जी के बड़े बेटे अर्चित आनंद ने बयान जारी कर बताया कि साहब श्री हरिंन्द्रानंद जी का पार्थिव शरीर उनके निवास स्थल A-17, Sector-2, HEC, Dhurwa, (पुरानी विधानसभा के पीछे, गेट नंबर -1) रांची में सुबह 11 बजे से संध्या पांच बजे तक लोगों के दर्शनार्थ रखा जायेगा।
वहीं सोमवार को भी सुबह छह बजे से 11 बजे तक लोग अंतिम दर्शन कर सकेंगे। पुत्र अर्चित आनंद (Son Archit Anand) झारखंड में तलवारबाजी संघ के प्रेसिडेंट हैं।