रांची: भाजपा (BJP) की राष्ट्रीय मंत्री सह रांची की मेयर डॉ. आशा लकड़ा (Dr. Asha Lakra) ने कहा कि राज्य सरकार स्थानीयता (Locality) के नाम पर झारखंड के आदिवासी-मूलवासी को दिग्भ्रमित कर रही है।
1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति (Local Policy) को राज्य सरकार स्वयं लागू कर सकती है। इसे नौवीं अनुसूची (9th Schedule) में शामिल के लिए केंद्र सरकार के पास भेजने की कोई आवश्यकता नहीं है।
लकड़ा ने शनिवार कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिए 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति का खेल कर रहे हैं।
BJP की सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने वर्ष 1985 को आधार मानकर स्थानीय नीति का घोषणा किया था।
लिहाजा राज्य के मुख्यमंत्री को यह भी बताना चाहिए कि 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति को राज्य में लागू करने के लिए इसे नौवीं अनुसूची (9th Schedule) में शामिल करने की क्या आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री स्वयं आदिवासियों को बेवकूफ बना रहे हैं
उन्होंने यह भी कहा कि खुद को आदिवासियों का हितैषी बताने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ही आदिवासियों के सबसे बड़े विरोधी हैं।
मुख्यमंत्री का सदन में यह कहना कि ”आदिवासी बोका नहीं हैं” जबकि हकीकत यह है कि मुख्यमंत्री स्वयं आदिवासियों को बेवकूफ (fool) बना रहे हैं।
यदि उन्हें आदिवासियों की इतनी ही चिंता है तो कानूनी प्रावधानों (Legal Provisions) के अनुसार 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति राज्य में लागू करें।
आदिवासियों को सिर्फ और सिर्फ वोट बैंक (Vote Bank) के रूप में इस्तेमाल करने के लिए स्थानीय नीति का झूठा दिलासा न दें।