रांची: Jharkhand High Court (झारखंड हाई कोर्ट) के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन (Dr. Ravi Ranjan) की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बुधवार को रिम्स (RIMS) की लचर व्यवस्था को लेकर दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई हुई।
मामले में कोर्ट ने मौखिक कहा कि रिम्स में प्रशासनिक व्यवस्था ध्वस्त है।
RIMS का अधीक्षक (Superintendent) ऐसे व्यक्ति को होना चाहिए जो रिम्स की सारी व्यवस्था को सुचारू रूप से चला सके।
कोर्ट ने मामले में स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के प्रधान सचिव को कोर्ट में अगली सुनवाई में तलब किया है।
आउटसोर्सिंग पर नियुक्ति पर कोर्ट ने उठाए सवाल
कोर्ट ने मौखिक कहा कि रिम्स में स्वीकृत पद पर नियमित नियुक्ति करने का आदेश हाई कोर्ट (High Court) ने दिया था।
इसके बाद भी आउटसोर्सिंग (Outsourcing) पर नियुक्ति क्यों की गई। RIMS ने इस संबंध में राज्य सरकार से मार्गदर्शन लिया था।
खंडपीठ ने कहा कि सरकार की ओर से जो आउटसोर्सिंग से रिम्स में नियुक्ति के लिए जो संकल्प सरकार की ओर से निकाला गया था, वह हाई कोर्ट (High Court) और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश की अवमानना का मामला बनता है।
संकल्प में सरकार की ओर से रिम्स में रेगुलर नियुक्ति और आउटसोर्सिंग दोनों तरीके से नियुक्ति की बात कही गई थी जबकि कोर्ट ने स्पष्ट रूप से रिम्स में आउटसोर्सिंग से नियुक्ति नहीं करने की बात कही थी, यह कोर्ट के आदेश की अवहेलना है।
झारखंड कोयले के दोहन और रिम्स की कमी के लिए फेमस
कोर्ट ने कहा कि RIMS बताए कि उसने सरकार से किस प्रावधान के तहत मार्गदर्शन मांगा है जबकि रिम्स में नियमित नियुक्ति से संबंधित मामला हाई कोर्ट (High Court) में लंबित है।
इसे लेकर क्यों नहीं रिम्स के खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाए।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई 29 नवंबर निर्धारित की। कोर्ट ने मौखिक कहा कि झारखंड (Jharkhand) कोयले के दोहन और रिम्स की कमी के लिए जाना जाता है।
रिम्स में सिर्फ कमियां ही कमियां है, इसे दुरुस्त करने के लिए रिम्स की ओर से कोई सार्थक पहल नहीं की जाती है। कोर्ट ने रिम्स में फोर्थ ग्रेड पर नियुक्ति से संबंधित रिट याचिका पर ही सुनवाई की।