नई दिल्ली : दिनोंदिन बढ़ती महंगाई से परेशान लोग हर दिन सुबह-शाम इस बात की आस लगाए रहते हैं सरकार उन्हें खाने-पीने की चीजों के दाम कम कर राहत देने के बारे में जरूर सोचेगी और उन्हें कुछ न कुछ इसका जल्द से जल्द फायदा मिलेगा।
कुछ दिनों पहले केंद्र सरकार (Central government) ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए खाद्य तेल (Edible Oil) की कीमतें घटाई थीं, मगर इसका फायदा आम आदमी को नहीं मिल रहा था।
फॉर्च्यून (Fortune) ब्रांड ने कम किया दाम
अडानी ग्रुप की एफएमसीजी कंपनी अडानी विल्मर (Adani Wilmar) ने अपने एडिबल ऑयल (Edible Oils) की कीमतों में सोमवार को 30 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती करने का ऐलान किया। सबसे ज्यादा कटौती सोयाबीन तेल के दामों में की गई है।
फॉर्च्यून (Fortune) ब्रांड के नाम से बाजार में अपने प्रोडक्ट बेचने वाली अडानी विल्मर (Adani Wilmar) ने बताया कि ग्लोबल लेवल पर तेल की कीमतों में गिरावट आने के चलते कीमतों को घटाने का फैसला किया गया है। नई कीमतों वाली खेप बाजार में जल्द पहुंच जाएगी।
वहीं फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन मंत्रालय (DFPD) के आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई माह के तीसरे हफ्ते में खाने के तेल 30 रुपये तक सस्ते हो जाएंगे। साथ ही सरकार कुछ और खाद्य तेलों पर ड्यूटी घटा सकती है जिसके लिए इंडस्ट्री से सुझाव मांगा है।
कई कंपनियों ने जुलाई के तीसरे हफ्ते से ही एक लीटर की शीशी और पाउच के MRP में 30 रुपये की कटौती कर दी है। दाम में कमी के पीछे ग्लोबल मार्केट में एडिबल ऑयल (Edible oil) कीमतों में कमी का आना भी एक बड़ी वजह है।
मलेशिया एक्सचेंज में लगभग 15 डॉलर टूटे हैं तेल उत्पादों के भाव
मिली जानकारी के मुताबिक देश में खाने के तेल के दाम (Edible Oil Prices) में गिरावट आई है, जिसके साथ सरसों, वनस्पति, सोयाबीन सहित कई प्रकार के तेल के दाम गिरे हैं।
ये दाम जुलाई के तीसरे हफ्ते से लागू हो जाएंगे, वहीं देश में खाद्य तेलों के बढ़ते आयात के कारण दिल्ली बाजार में शुक्रवार को मूंगफली में आई तेजी को छोड़कर बाकी लगभग सभी तेल तिलहनों के भाव में गिरावट आई।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में शाम का कारोबार बंद था, जबकि शिकॉगो एक्सचेंज फिलहाल दो प्रतिशत मजबूत है। मलेशिया एक्सचेंज में कल रात तेजी थी पर तेल उत्पादों के भाव लगभग 15 डॉलर टूटे हैं।
रिकॉर्ड आयात होने की खबर से सोयाबीन, पामोलीन तेल के भाव टूटे
सूत्रों ने कहा कि देश में जुलाई माह में रिकॉर्ड आयात होने की खबर से सोयाबीन, पामोलीन तेल के भाव और टूट गए।
इस गिरावट का असर सरसों तेल पर भी हुआ और उसके भाव भी गिरावट दर्शाते बंद हुए रुपये में रोजाना की रिकॉर्ड गिरावट ने आयातकों के संकट को और बढ़ा दिया है।
कंपनियों ने एमआरपी में की भारी कटौती
Adani Wilmar ने अपने प्रोडक्ट के MRP में 10 रुपये से लेकर 30 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती कर दी है।
इसी तरह, Adani Vigemini Edible and Fatsalmer ने भी अपने प्रोडक्ट पर 8 रुपये से लेकर 30 रुपये प्रति लीटर तक की कमी कर दी है, वहीं इमामी एग्री ने MRP में 35 रुपये तक की कटौती कर दी है। जाहिर है आम लोगों को भी पहले के मुकाबले सस्ती कीमत पर खाने के तेल मिलेंगे।
हाल ही में मदर डेयरी (Mother Dairy) ने भी अपने सभी एडिबल ऑयल की कीमतों (Edible Oil Price) में 15 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती कर दी है। इसमें सोयाबीन ऑयल और राइसब्रान ऑयल सभी शामिल हैं।
विदेशों में तेल कीमतों की मंदी से आई ऐसी स्थिति
सूत्रों ने कहा कि विदेशों में तेल कीमतों की मंदी से आयातक और तेल उद्योग पर प्रतिकूल असर पड़ा है। दूसरी ओर बंदरगाहों पर आयातित तेलों की पहली खेप के माल भी पूरी तरह नहीं बिके हैं।
जुलाई में सोयाबीन डिमांड का लगभग पांच लाख टन का रिकॉर्ड आयात होने की उम्मीद है।
उस तेल को भी सस्ते में खपाने की बाध्यता होगी, क्योंकि उनका आयात 1,950-2,100 डॉलर प़्रति टन के भाव से किया गया है। मंडियों में अभी सोयाबीन डीगम का भाव लगभग 1,350 डॉलर प्रति टन है।
सरकार को तेल-तिलहन बाजार की उठापटक पर कड़ी नजर रखनी होगी
बाजार सूत्रों का कहना है कि सरकार को Oil Oilseeds बाजार की उठापटक पर कड़ी नजर रखनी होगी। किसानों के हित को ध्यान में रखकर, उन्हें प्रोत्साहन देकर तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए कदम उठाने होंगे।
शुल्क मुक्त आयात जैसे कदम से तात्कालिक रूप से तेल कीमतें कुछ कम हो सकती हैं, पर यह भी देखना होगा कि विदेशों के सस्ते तेल की भरमार हमारे तिलहन किसानों के उत्पादों के भाव को गैर-प्रतिस्पर्धी न बना दे।
तिलहन की जगह दूसरी लाभप्रद फसल का रुख कर सकते हैं किसान
आखिर जब Soybean Degum, Palmolein जैसे आयातित तेल सस्ते होंगे तो देशी तेल तिलहनों को ऊंचे भाव पर कोई क्यों खरीदेगा।
ऐसे में किसान तिलहन की जगह किसी और लाभप्रद फसल का रुख कर सकते हैं। देश की तेल-तिलहन मामले में पूरी तरह से विदेशी बाजारों पर निर्भरता एक खतरनाक स्थिति होगी और इस पूरे परिदृश्य को बदलने की आवश्यकता है।
ऐसे में सरकार को तेल तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सोची समझी रणनीति अख्तियार करने के साथ चौकस होना होगा।
सारी परिस्थितियां किसानों को हतोत्साहित कर सकती हैं
सरकार ने पहले ही कुछ खाद्य तेलों के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति दे रखी है। इसके अलावा डीआयल्ड केक (DOC) के आयात की भी छूट दी है।
ये सारी परिस्थितियां किसानों को हतोत्साहित कर सकती हैं और तिलहन उत्पादन से वे विमुख हो सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि बिनौला में कारोबार लगभग समाप्त हो चला है और जहां बिनौला तेल की खपत होती थी वहां मूंगफली तेल तिलहन की मांग है, जिसके कारण मूंगफली तेल (Peanut oil) तिलहनों के भाव में सुधार आया।
पिछले हफ्ते तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे
सरसों तिलहन – 7,195-7,245 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली – 6,845 – 6,970 रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,150 रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,695 – 2,885 रुपये प्रति टिन
सरसों तेल दादरी- 14,500 रुपये प्रति क्विंटल
सरसों पक्की घानी- 2,295-2,375 रुपये प्रति टिन
सरसों कच्ची घानी- 2,335-2,440 रुपये प्रति टिन
तिल तेल मिल डिलिवरी – 17,000-18,500 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,900 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,600 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,350 रुपये प्रति क्विंटल
सीपीओ एक्स-कांडला- 10,800 रुपये प्रति क्विंटल
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,800 रुपये प्रति क्विंटल
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,300 रुपये प्रति क्विंटल
पामोलिन एक्स- कांडला- 11,300 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल
सोयाबीन दाना – 6,250-6,300 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन लूज 6,000- 6,050 रुपये प्रति क्विंटल
मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल