मुंबई: सुप्रीम कोर्ट (SC) में शिवसेना (Shiv Sena) के बागी विधायकों पर सुनवाई 10 दिन टल जाने के बाद महाविकास आघाड़ी के सहयोगी दलों ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के प्रति नाराजगी जताई है।
पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि उद्धव ठाकरे को तत्काल इस्तीफा देने के बजाय सदन में विश्वासमत का सामना करना चाहिए था।
राकांपा (NCP) नेता छगन भुजबल ने कहा कि मूल विषय पार्टी का व्हिप का पालन न करने वालों पर कार्रवाई का है, लेकिन सब कुछ उलझ कर रह गया है। राकांपा (NCP) पहले ही उद्धव ठाकरे के जल्द इस्तीफे पर नाराजगी जता चुका है।+
उद्धव ठाकरे ने जल्दबाजी करते हुए इस्तीफा दे दिया
पृथ्वीराज चव्हाण ने बुधवार को कहा कि जब राज्यपाल ने उद्धव सरकार से बहुमत साबित करने को कहा था तो ठाकरे को इसका सामना विधानसभा में करना चाहिए था।
उन्हें विधायकों की बहस के बाद भाषण करने का मौका मिलता। उस समय उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को राज्य में महाविकास आघाड़ी का गठन करने के कारण बताने का मौका था।
इसके बाद विश्वास मत के दौरान अगर शिवसेना विधायक महाविकास आघाड़ी को मतदान न करते तो वे अपने आप अयोग्य हो जाते थे लेकिन उद्धव ठाकरे ने जल्दबाजी करते हुए इस्तीफा दे दिया। इससे यह सब कानूनी अड़चन उत्पन्न हो गई है।
सहयोगी दलों में खटास आने की जताई जा रही संभावना
उल्लेखनीय है कि शिंदे समूह के विधायकों की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने का मन बना लिया था। इसके तहत उन्होंने CM का सरकारी आवास भी तत्काल खाली कर दिया था।
बहुमत साबित करने का निर्देश देने के बाद उद्धव ठाकरे ने तत्काल अपना इस्तीफा (Resignation) राज्यपाल को सौंप दिया था।
उद्धव ठाकरे ने इस बाबत महाविकास आघाड़ी (Mahavikas Aghadi) के सहयोगी दलों से कोई सलाह तक नहीं ली थी।
इसी वजह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने उसी समय उद्धव ठाकरे के प्रति दबी जुबान में नाराजगी जताई थी।
इससे निकट भविष्य में महाविकास आघाड़ी (Mahavikas Aghadi) के सहयोगी दलों में खटास आने की संभावना जताई जा रही है।