नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो सेना में भर्ती प्रक्रिया से जुड़ी अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक समग्र जवाब दाखिल करे।
चीफ जस्टिस सतीश Chandra Sharma की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार (Central government) को चार हफ्ते में समग्र जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई को अपने पास और दूसरे हाईकोर्ट में लंबित केस दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट में Transfer करने का आदेश दिया था।
दिल्ली हाईकोर्ट पहले से भारतीय नौसेना के उस विज्ञापन को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें अभ्यर्थियों को 12वीं में मिले मार्क्स कट-ऑफ (Marks Cut-off) बढ़ाकर चयन करने की बात कही गई है।
अग्निपथ योजना की वजह से उनकी ज्वायनिंग पर असर पड़ सकता है
याचिकाकर्ता का कहना है कि भारतीय नौसेना में चयन के लिए जो मापदंड बनाए गए हैं उसका ये विज्ञापन उल्लंघन करता है।
अग्निपथ योजना को लेकर एयरफोर्स में चयनित बीस अभ्यर्थियों ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनकी याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना से प्रभावित हुए बिना उन्हें एयरफोर्स में ज्वायन करने का आदेश जारी किया जाए।
एयरफोर्स (Air force) में चयनित अभ्यर्थियों का एयरफोर्स की X और Y ट्रेड में नियुक्ति के लिए 2019 में चयन हुआ था। लेकिन उन्हें ज्वायनिंग लेकर नहीं मिला है।
याचिका में मांग की गई है कि एयरफोर्स का 2019 का एनरॉलमेंट सूची प्रकाशित की जाए और उन्हें ज्वायनिंग कराया जाए। एयरफोर्स के आधिकारिक वेबसाइट में कहा गया कि कोरोना की वजह से उनकी ज्वायनिंग नहीं हो रही है।
लेकिन अब केंद्र सरकार की Agneepath Scheme की वजह से उनकी ज्वायनिंग पर असर पड़ सकता है। याचिका में कहा गया है कि उनकी नियुक्ति में केवल अंतिम चरण बाकी है इसलिए वे एयरफोर्स में नियुक्ति के हकदार हैं।
अगर 2019 के एयरफोर्स में चयन को मनमाने तरीके से रद्द किया जाता है तो ये संविधान की धारा 16(1) के तहत मिले अधिकारों का उल्लंघन होगा।
वकील विशाल तिवारी ने तीसरी याचिका किया था दायर
Supreme Court में अग्निपथ योजना को लेकर तीन याचिकाएं दाखिल की गई थीं। एक याचिका वकील हर्ष अजय सिंह ने दायर की है। याचिका में सरकार को इस योजना पर दोबारा विचार करने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि सरकारी खजाने पर बोझ कम करने की कवायद में राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता ना हो। चार साल बाद रिटायर्ड हुए अग्निवीर बिना किसी नौकरी के गुमराह हो सकते है।
अग्निपथ योजना को लेकर दूसरी याचिका वकील Manohar Lal Sharma ने दायर किया था जबकि तीसरी याचिका वकील विशाल तिवारी ने दायर किया था।
मनोहर लाल शर्मा की याचिका में अग्निपथ योजना को चुनौती देते हुए कहा गया था कि ये योजना बिना संसद की मंजूरी के लाई गई है।
वकील Vishal Tiwari की याचिका में अग्निपथ योजना का सेना पर होने वाले प्रभाव और उसके खिलाफ हुई हिंसा और तोड़फोड़ की जांच की मांग की गई थी।