खूंटी: झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के बैनर तले जिले में कार्यरत मनरेगा कर्मियों ने बुधवार को समाहरणालय गेट के सामने धरना दिया और प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ के जिलाध्यक्ष दीपक सिंह ने कहा कि 2007 में मनरेगा कर्मियों की बहाली सरकार द्वारा की गई थी।
उस समय उन्हें साढ़े तीन हजार का मानदेया दिया जाता था। सभी मनरेगा कर्मी उच्च शिक्षित हैं। 13-14 वर्षों के बाद भी उनकी सेवा स्थायी नहीं की गयी।
उन्होंने कहा कि मनरेगा कर्मियों की छह सूत्री मांग को लेकर मनरेगाकर्मी धरना-पद्रर्शन करने को विवश है।
उन्होंने कहा कि उनकी मांगों में सेवा स्थायी करने, सेवा शर्त नियमावली तैयार करने, वेतनमान का निर्धारण, दुर्घटना बीमा, महंगाई भत्ता, मातृत्व अवकाश, आवास भत्ता और स्वास्थ्य भत्ता देने आदि की मांगें शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार मनरेगा अधिनियम 17(1) में वर्णित सामाजिक अंकेक्षण के नियमों का उल्लंघन कर रही है।
संघ के जिलाध्यक्ष ने कहा कि सरकार ग्राम प्रधान मनरेगा और बुद्धिजीवियों से कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण नहीं करा कर जेएसएलपीएस से सामाजिक अंकेक्षण करा रही है, जो अधिनियम का घोर उल्लंघन है।
मौके पर बरनाबास टोपनो, पुनित कुमार खाखा, कृष्ण मुरारी मिश्र, भुवनेश्वरी कुमारी सहित कई मनरेगा कर्मी मौजूद थे।