बांसवाड़ा/नई दिल्ली: Prime Minister Narendra Modi (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) और राजस्थान के CM अशोक गहलोत ने मंगलवार को राज्य के बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम में Tribal Freedom Fighters (आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों) को श्रद्धांजलि देने के लिए मंच साझा किया। मंच पर मध्य प्रदेश और गुजरात के CM भी मौजूद रहे।
राजस्थान के बांसवाड़ा में ‘मानगढ़ धाम की गौरव गाथा’ कार्यक्रम में PM नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के CM के साथ मंच साझा किया। मानगढ़ मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित है।
सार्वजनिक समारोह में मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मध्य प्रदेश के CM शिवराज सिंह चौहान, राजस्थान के CM अशोक गहलोत, गुजरात के CM भूपेन्द्र पटेल, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और फगन सिंह कुलस्ते सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
देशभर में आदिवासी संग्रहालयों की स्थापना की गई
आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में Central Goverment (केन्द्र सरकार) ने स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम आदिवासी नायकों को याद करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
इसके तहत 15 नवंबर (आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती) को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया गया, समाज में आदिवासी लोगों के योगदान को मान्यता देने और स्वतंत्रता संग्राम में उनके बलिदान के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए देशभर में आदिवासी संग्रहालयों की स्थापना की गई।
संबोधित किया आदिवासियों की एक सभा को
स दिशा में एक और कदम उठाते हुए, स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम आदिवासी नायकों और शहीदों के बलिदान को नमन कर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए PM राजस्थान के मानगढ़ पहाड़ी (बांसवाड़ा) पर आयोजित सार्वजनिक कार्यक्रम – ‘मानगढ़ धाम की गौरव गाथा’ में शामिल हुए।
PM ने भील स्वतंत्रता सेनानी श्री गोविंद गुरु को श्रद्धांजलि दी और क्षेत्र के भील और अन्य आदिवासियों की एक सभा को संबोधित किया।
जनजातियों ने लंबे समय तक अंग्रेजों से लोहा लिया
मानगढ़ की पहाड़ी भील समुदाय और राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश की अन्य जनजातियों के लिए विशेष महत्व रखती है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां भील और अन्य जनजातियों ने लंबे समय तक अंग्रेजों से लोहा लिया था।
17 नवंबर 1913 को श्री गोविंद गुरु के नेतृत्व में 1.5 लाख से अधिक भीलों ने मानगढ़ पहाड़ी पर सभा की थी। इस सभा पर अंग्रेजों ने गोलियां चलाईं, जिससे मानगढ़ नरसंहार हुआ और लगभग 1500 Tribal Martyr (आदिवासी शहीद) हो गए थे।