रांची: इंडियन पेनल कोड यानी भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498 A (महिला के प्रति क्रूरता) के दुरुपयोग के बढ़ रहे मामले (Increasing Cases of Abuse) पर झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने चिंता जताई है।
इससे संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां अदालतों ने धारा 498 A के दुरुपयोग और ऐसी शिकायतों में बिना वैवाहिक विवादों में पति के रिश्तेदारों को फंसाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की थी।
धारा 498 A मूल रूप से विवाहित महिलाओं पर पतियों या उनके रिश्तेदारों द्वारा की गई क्रूरता को दंडित करने के लिए बनाई गई है।
पति के खिलाफ शिकायत और आपराधिक कार्यवाही में कोई हस्तक्षेप नहीं
अदालत ने यह टिप्पणी एक महिला के पति के रिश्तेदारों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले (Criminal Cases) को रद्द करने की याचिका में सुनवाई के दौरान की।
याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोपों को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 482 के तहत उनके खिलाफ मामले को रद्द कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि उसने पति के खिलाफ लंबित शिकायत और आपराधिक कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं किया है।