नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नाबालिग पत्नी से संबंध बनाने के मामले में रेप (Rape) के आरोपी पति को बरी किया।
आरोपी पति को हाईकोर्ट (High Court) ने रेप में दोषी करार दिया था, जिसके खिलाफ आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने Rape मामले में पति को दिए गए अपवाद के आधार पर पति को बरी कर दिया।
रेप की परिभाषा में प्रावधान है कि अगर पत्नी की उम्र 15 साल से ऊपर है, तब मेरिटल रेप (Marital Rape) में पति को अपवाद में रखा गया है यानी पति के खिलाफ Rape का केस नहीं बनेगा।
जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने सामने आया यह मामला
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gavai) की अगुवाई वाली बेंच ने सामने यह मामला आया है।
दरअसल आरोपी को POCSO (Protection of Children from Sexual Offenses Act) के तहत दोषी करार दिया गया था लेकिन कर्नाटक हाईकोर्ट ने मामले को रेप में बदलते हुए दोषी करार दिया।
कोर्ट ने कहा कि चूंकि POCSO कानून 2012 में प्रभाव में आया है, इसके बाद यह पहले के मामले में लागू नहीं होगी।
हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि पीड़ित नाबालिग है और 16 साल से कम उम्र की है, इसके बाद शारीरिक संबंध के लिए उसकी सहमति के कोई मायने नहीं है और आरोपी पति को रेप में दोषी करार दिया।
गौरतलब है कि 18 साल से कम उम्र की लड़की की सहमति से भी संबंध बनाया जाना रेप है और इस कानूनी प्रावधान को हाईकोर्ट ने मद्देनजर लिया।
दोनों के बीच बने संबंध के कारण महिला ने गर्भधारण किया- Supreme Court
लेकिन जब मामला Supreme Court पहुंचा तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लड़की ने हलफनामा (Affidavit) देकर कहा है कि उसने आरोपी के साथ शादी की थी और उनके बीच सहमति से सबंध बने थे और उनका एक बच्चा भी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेप की परिभाषा IPC की धारा-375 में दिया गया है और उसमें मेरिटल रेप को अपवाद की श्रेणी में रखा गया है। पत्नी की उम्र अगर 15 साल से ऊपर है, तब पति के खिलाफ रेप का केस नहीं दर्ज किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में पति ने और पत्नी के बीच संबंध बने थे और पत्नी की उम्र 15 साल से ज्यादा थी, तब इसके बाद रेप का मामला नहीं बनेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों के बीच बने संबंध के कारण महिला ने गर्भधारण (Pregnancy) किया और उस बच्चा हुआ।