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सेवानिवृत्त अफसरों का महज पुनर्वास केंद्र बनकर रह गया है रेरा, सुप्रीम कोर्ट ने…

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Real Estate Regulatory Authority: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी (RERA) के कामकाज पर नाराजगी जाहिर की है।

कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए यहां तक कह दिया कि RERA महज सेवानिवृत्त अफसरों का पुनर्वास केंद्र बनकर रह गया। न्यायमूर्ति सूर्य कांत और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा, हम रेरा के बारे में नहीं बोलना चाहते।

वह पूर्व अफसरशाहों के पुनर्वास का केंद्र बन गया है जिन्होंने इस अधिनियम की पूरी योजना को ही निष्फल कर दिया है।

यह टिप्पणी उस समय की गई जब सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली उच्च न्यायालय के एक निर्णय के विरुद्ध दाखिल अपील की सुनवाई कर रहा था।

उच्च न्यायालय ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को याचिका दाखिल करने वालों से पूर्व EMI या पूरी EMI वसूलने से बचने के निर्देश देने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऐसे कई घर खरीदने वालों की याचिकाएं खारिज की थीं, जो चाहते थे कि बैंक और वित्तीय संस्थान तब तक RMI न मांगें जब तक रियल एस्टेट डेवलपर उनके घर उन्हें सौंप नहीं देते।

याचियों में अर्बन हाउस बायर्स एसोसिएशन फाउंडेशन शामिल

इन याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार करते हुए न्यायमूर्ति Purushendra Kumar Kaurav ने कहा था कि याचियों के पास कई अन्य कानूनों के तहत वैकल्पिक उपचार उपलब्ध हैं, जिसमें उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता, और अचल संपत्ति नियमन एवं विकास अधिनियम शामिल हैं।

याचियों में सुपरटेक अर्बन हाउस बायर्स एसोसिएशन फाउंडेशन और अन्य समूह शामिल हैं, जिन्होंने बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से ऋण लिया है। सर्वोच्च न्यायालय की यह टिप्पणी रेरा के कामकाज और उसके प्रभाव पर सवाल उठाती है, जो कि गृह खरीदारों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संस्थान माना जाता है।

इस स्थिति ने यह साबित किया है कि RERA को अपने उद्देश्य को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है, ताकि वह अपने प्रभावी कार्यों के माध्यम से घर खरीदने वालों को सशक्त बना सके।

बता दें कि रेरा, जिसे रियल एस्टेट (Regulation and development) ऐक्ट, 2016 के रूप में जाना जाता है, का निर्माण देश के अचल संपत्ति क्षेत्र में आवश्यक सुधार लाने के लिए किया गया था।

इसका मुख्य लक्ष्य पारदर्शिता बढ़ाना, इस कारोबार को नागरिकों के अनुरूप और जवाबदेह बनाना, तथा वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देना है। इसके जरिए घर खरीदने वालों को सशक्त बनाना और अर्थव्यवस्था में सुधार लाना भी इसका उद्देश्य है।

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