मुंबई: रुपये की गिरावट से RBI परेशान है, लगता हैं कि यह परेशानी अभी जल्द खत्म नहीं होने वाली है। संभावना जाहिर की गई है कि डॉलर (Dollar) के मुकाबले भारतीय रुपया (Indian Rupee) और गिरेगा।
घरेलू व्यापार संतुलन और अमेरिका (America) में ब्याज दरों (Interest Rates) में वृद्धि के कारण रुपये में पिछले 9 सालों में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली। आज रुपया 83.2150 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक लुढ़क गया था।
Poll में 14 बैंकर और फॉरेन करेंसी (Foreign Currency) जानकारों ने सर्वे में अनुमान जताया है कि, दिसंबर तक रुपया गिरकर 84.50 तक जा सकता है।
रुपये की चाल ठीक नहीं होने वाली
दक्षिण एशियाई करेंसी (South Asian Currency) इस साल अब तक लगभग 12 प्रतिशत गिर चुकी है, जो 2013 में अपनी गिरावट के बराबर है।
वहीं, सर्वेक्षण में विशेषज्ञों ने अनुमान जताया कि रुपया 83.25 और 86 के बीच रहेगा, जिस पर एक व्यापक सहमति देखने को मिली। इससे लग रहा है कि इस साल रुपये की चाल ठीक नहीं होने वाली है।
विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर तक रुपया 85 के स्तर तक गिर सकता है, क्योंकि हमें बाहरी वातावरण में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा है।
वहीं, डॉलर लगातार बढ़ रहा है और हमारे लोकल फंडामेंटल (Local fundamentals) कमजोर बने हुए हैं। हम भारत के चालू खाते के घाटे (CDA) के 3प्रतिशत -3.50 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद कर रहे हैं।
रुपये के कमजोर होने से आयात महंगा होता है
इस बीच, महंगाई पर नियंत्रण लाने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी से कैपिटल इनफ्लो प्रभावित हुआ है।
फेड की बढ़ोतरी से इस साल डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) में करीब 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और निवेशकों को इमर्जिंग इकोनॉमी से पैसा निकालने के लिए मजूबर किया है।
NSDL के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने इस साल अब तक इंडियन इक्विटी मार्केट (Indian Equity Market) से 23.4 अरब डॉलर और डेट से 1.4 अरब डॉलर की रकम निकाल ली है।बता दें कि रुपये के कमजोर होने से विदेशी मुद्रा भंडार पर प्रभाव पड़ता है।
जब भी भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) को लगता है कि रुपया बहुत नीचे जा रहा है, तब वह डॉलर बेचना शुरू कर देता है जिससे फॉरेक्स रिजर्व (Forex Reserve) घटता है। वहीं, रुपये के कमजोर होने से आयात महंगा होता है। इसका सीधा असर यहां आम लोगों पर होता है।