पटना/छपरा: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सर संघसंचालक डॉ. मोहन भागवत (Dr. Mohan Bhagwat) रविवार को बिहार (Bihar) के छपरा जिले के मलखाचक गांव पहुंचे। उन्होंने यहां स्वतंत्रता सेनानी बासुदेव सिंह (Freedom Fighter Basudev Singh) के आवास पर उनके शहीद पुत्र श्रीनारायण सिंह (Srinarayan Singh) की प्रतिमा का अनावरण किया।
इसके बाद कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे।उन्होंने 350 स्वतंत्रता सेनानियों और उनके स्वजनों को सम्मानित किया। भागवत वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कुमार की पुस्तक ‘स्वतंत्रता आंदोलन की बिखरी कड़ियां’ का लोकार्पण (launch) भी करेंगे।
मलखानचक गांव को बिहार में भी लोग कम जानते हैं। स्वतंत्रता आंदोलन (Independence Movement) के दौर में अंग्रेज इस बात पर संशय में थे कि यह गांव हिंसात्मक आंदोलन का गढ़ है या अहिंसात्मक आंदोलन का।
बिहार के इस गांव को राजस्थान से पैदल चलकर आये मलखा कुंवर ने बसाया था
यहां महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) और पंडित नेहरू (Pandit Nehru) के साथ-साथ क्रांतिकारी भगत सिंह (Bhagat Singh) और चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) आदि भी सक्रिय रहे हैं।
बिहार के इस गांव को राजस्थान से पैदल चलकर आये मलखा कुंवर ने बसाया था। वे आरा होकर दानापुर, फिर वहां से गंगा नदी (The River Ganges) को पार कर कसमर आए थे। मलखा कुंवर ने कसमर के नवाब को हराकर अपने आठ भाइयों को यहां एक-एक गांव में बसाया। वे खुद जिस जगह बसे, उसका नाम मलखाचक पड़ा।
मलखाचक में साल 1924, 1925 और 1936 में महात्मा गांधी आए थे। महात्मा गांधी ने ‘यंग इंडिया’ (Young India) में इस गांव की प्रशंसा करते हुए लिखा है कि यहां के लोग खादी के जरिए सामाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ देश के जनजागरण की मुहिम में लगे हैं।
मलखानचक गांव में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद एवं बटुकेश्वर दत्त जैसे क्रांतिकारियों (Revolutionaries) ने निशानेबाजी (Shooting) का अभ्यास भी किया । भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान यहां के श्रीनारायण सिंह (Srinarayan Singh) और हरिनंदन प्रसाद (Harinandan Prasad) शहीद हो गए थे। मोहन भागवत ने आज इस गांव में शहीद श्रीनारायण सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया।