नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने बुधवार को विवादास्पद फिल्म द केरला स्टोरी (The Kerala Story) की रिलीज पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर केंद्र सरकार तथा अन्य पक्षों को थिएटर, OTT प्लेटफॉर्म और अन्य मीडिया में फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के लिए आदेश देने का अनुरोध किया था। साथ ही उसने कहा था कि Internet से फिल्म का ट्रेलर भी हटाया जाना चाहिए।
वृंदा ग्रोवर ने अदालत के समक्ष मुस्लिम संगठन की याचिका का उल्लेख किया
भारत के मुख्य न्यायाधीश D.Y. Chandrachud की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि वह आर्टिकल 32 के तहत उठाये गए सभी मुद्दों को सुनवाई के लिए स्वीकार कर सुप्रीम कोर्ट को सुपर आर्टिकल 226 कोर्ट बनने की इजाजत नहीं दे सकती।
आर्टिकल 226 उच्च न्यायालयों को यह अधिकार देता है कि वह सरकारी अधिकारियों को निर्देश या रिट जारी कर सके।
अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर (Vrinda Grover) ने अदालत के समक्ष मुस्लिम संगठन की याचिका का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि केरल उच्च न्यायालय फिल्म की 5 मई को होने वाली रिलीज से पहले मामले की सुनवाई नहीं कर रहा है।
केरल हाईकोर्ट पहले ही मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गया
उन्होंने कहा कि फिल्म के निर्माता समाज को बहका रहे हैं। वे इसकी Marketing इस तरह से कर रहे हैं जैसे यह सच्चाई हो। उन्होंने डिस्क्लेमर भी नहीं दिया है कि यह काल्पनिक कहानी है।
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे (Harish Salve) ने अदालत को बताया कि केरल हाईकोर्ट पहले ही मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गया है।
इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से Kerala High Court जाने के लिए कहा जो पहले से इससे जुड़े मामलों की सुनवाई कर रहा है क्योंकि केरल उच्च न्यायालय के जज वहां की स्थानीय परिस्थितियों से भी वाकिफ हैं।
हाईकोर्ट जल्द कर सकता है इस पर सुनवाई
मुस्लिम संगठन के अधिवक्ता ने अदालत से अनुरोध किया कि वह फिल्म के रिलीज के मुद्दे पर केरल हाईकोर्ट को 4 मई को सुनवाई करने का निर्देश दे। फिल्म 5 मई को रिलीज होने वाली है।
तर्को को सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि आर्टिकल 32 के तहत राहत के लिए उच्च न्यायालय में गुहार लगाई जा सकती है और हम इस आधार पर इस पर सुनवाई नहीं करेंगे। हम याचिकाकर्ता को केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) में जाने की स्वतंत्रता देते हैं। हाईकोर्ट इस पर जल्द सुनवाई कर सकता है।
इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद फिल्म The Kerala Story की रिलीज को स्थगित करने संबंधी याचिका खारिज कर दी थी।
खंडपीठ ने कहा…
मुख्य न्यायाधीश के साथ न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ और बी.वी. नाग्रथन (Justice K.M. Joseph and B.V. Nagrathan) भी खंडपीठ में शामिल थे जो उस समय हेट स्पीच से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी।
खंडपीठ ने कहा कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म को प्रमाणन दे दिया है और याचिकाकर्ताओं को फिल्म के प्रमाणन को चुनौती देनी चाहिए।
मुस्लिम संगठन ने अपनी याचिका में कहा, इस फिल्म का उद्देश्य स्पष्ट तौर पर घृणा और समाज के विभिन्न वर्गो के बीच दुश्मनी फैलाना है।
फिल्म में पूरे मुस्लिम समुदाय की अवमानना की गई
फिल्म में यह संदेश दिया गया है कि गैर-मुस्लिम लड़कियों को उनके सहपाठी बहला-फुसलाकर इस्लाम स्वीकार कराते हैं और इसके बाद उन्हें पश्चिम एशिया के देशों में भेज दिया जाता है जहां उन्हें जबरन आतंकवादी समूहों (Terrorist Groups) में शामिल किया जाता है।
याचिका में कहा गया है, फिल्म में पूरे मुस्लिम समुदाय (Muslim Community) की अवमानना की गई है। इससे याचिकाकर्ताओं तथा देश के सभी मुसलमानों की जिंदगी और रोजी-रोटी पर संकट पैदा हो जाएगा। यह संविधान की धारा 14 और 21 का सीधे-सीधे उल्लंघन है।
प्रमाणन बोर्ड को निर्देश की मांग की गई थी
याचिका में आगे कहा गया है, फिल्म में दिखाया गया है कि चरमपंथी मौलानाओं के अलावा आम मुस्लिम युवा (Common Muslim Youth) भी अपनी गैर-मुस्लिम सहपाठियों को बहलाने-फुसलाने और उन्हें कट्टरवादी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे चरमपंथी मौलानाओं के निर्देश के अनुसार, उनके सामने दोस्ताना और अच्छा बर्ताव करते हैं।
अधिवक्ता एजाज मकबूल (Ejaz Maqbool) द्वारा दायर याचिका में अदालत से केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को निर्देश की मांग की गई थी कि वह भड़काऊ दृश्यों और संवादों की पहचान कर उन्हें हटाने के लिए कहे और एक Disclaimer जोड़ने के लिए कहे कि यह काल्पनिक कहानी पर आधारित फिल्म है और इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है।