रांची: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सिपाही बहाली में रिक्त रह गयी सीटों पर सुनवाई की। जस्टिस अनिरुद्ध बोस (Justice Aniruddha Bose) व जस्टिस सुधांशु धुलिया की अदालत में सुनवाई हुई।
इस दौरान झारखंड सरकार और JSSC को नोटिस जारी किया और पूछा कि क्षैतिज आरक्षण (Reservation) से संबंधित रिक्त रह गयी सीटों पर नियुक्ति क्यों नहीं की गयी? कोर्ट ने पूछा क्यों नहीं SLP को स्वीकार किया जाये?
अधिवक्ता ने दी ये दलील
प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन (Manoj Tandon) ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ (Bench) को बताया कि क्षैतिज आरक्षण से संबंधित रिक्त सीटों को अगली वेकेंसी में नहीं भेजा जा सकता है।
इन सीटों को वर्तमान वेकेंसी (Vacancy) में ही भरा जा सकता है। महिला अभ्यर्थियों के नहीं रहने पर पुरुष अभ्यर्थियों, जो योग्य हैं। लेकिन दूसरी वेकेंसी में सीटों को कैरी फॉरवर्ड (Carry Forward) नहीं किया जा सकता है।
सौरव यादव के मामले में Supreme Court द्वारा वर्ष 2021 में पारित आदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि क्षैतिज आरक्षण से संबंधित ऐसा आदेश दिया जा चुका है।
क्या है पूरा मामला
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (Jharkhand Staff Selection Commission) ने वर्ष 2015 में सिपाहियों के 7272 पदों पर नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया शुरू की थी।
4842 पदों पर नियुक्ति की गयी। 2430 पद खाली रह गये। ये सभी पद क्षैतिज आरक्षण के तहत महिलाओं के लिए रिजर्व थे।
महिला अभ्यर्थी के नहीं रहने के कारण पद रिक्त रह गये। पुरुष अभ्यर्थियों को क्षैतिज Reservation के सीटों पर नियुक्ति नहीं की गयी।