नई दिल्ली: अमेरिकी इन्टेलिजेन्स एजेंसियों (US Intelligence Agencies) की एनुअल थ्रेट एसेसमेंट (Annual Threat Assessment) की Report के मुताबिक भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan), तथा भारत और चीन (China) के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है।
साथ ही इन देशों के बीच संघर्ष बढ़ने की भी संभावना है। खतरे के सालाना आंकलन की Report के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में, भारत द्वारा पाकिस्तानी उकसावों (Pakistani Provocations) का सैन्य बल के साथ जवाब देने की पहले की तुलना में संभावना अधिक है।
वहीं भारत और चीन (India and China) द्वारा सीमा के विवादित हिस्से पर बढ़ती सैन्य गतिविधियों से दोनों परमाणु ताकतों के बीच सशस्त्र टकराव का जोखिम भी बढ़ रहा है।
भारत और चीन द्विपक्षीय सीमा वार्ता में लगे हुए
अमेरिकी खुफिया समुदाय (US Intelligence Community) के वार्षिक खतरे के आंकलन में ये मूल्यांकन किया गया है। इसे सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (Director of National Intelligence) के कार्यालय द्वारा अमेरिकी कांग्रेस को प्रस्तुत किया गया था।
Report में कहा गया है कि जहां India and China द्विपक्षीय सीमा वार्ता में लगे हुए हैं और सीमा बिंदुओं को सुलझा रहे हैं, वहीं 2020 में देशों के घातक संघर्ष (Deadly Struggle) के मद्देनजर संबंध तनावपूर्ण रहेंगे, जो दशकों में सबसे गंभीर है।
पिछले गतिरोधों ने दिखाया है कि…
विवादित सीमा पर भारत और चीन दोनों द्वारा सेना का विस्तार दो परमाणु शक्तियों (Nuclear Powers) के बीच सशस्त्र टकराव के जोखिम को बढ़ाती है, जिसमें अमेरिकी व्यक्तियों (American Persons) और हितों के लिए सीधा खतरा शामिल हो सकता है, और अमेरिकी हस्तक्षेप की मांग करता है।
पिछले गतिरोधों (Deadlocks) ने दिखाया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लगातार छोटे संघर्ष को तेजी से बढ़ने की क्षमता है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के बीच संकट, दो परमाणु-सशस्त्र देशों (Nuclear-Armed Countries) के बीच एक बढ़ते सर्किल के जोखिम के कारण विशेष चिंता का विषय है।
नई दिल्ली और Islamabad संभवत: 2021 की शुरुआत में नियंत्रण रेखा (Line of Control) पर दोनों पक्षों के फिर से संघर्ष विराम के बाद अपने संबंधों में मौजूदा शांति को मजबूत करने के लिए इच्छुक हैं।
तनाव से संघर्ष का खतरा बढ़ जाता
कहा गया, “हालांकि, Pakistan का भारत विरोधी उग्रवादी समूहों (Anti India Extremist Groups) का समर्थन करने का एक लंबा इतिहास रहा है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में, भारत के कथित या वास्तविक पाकिस्तानी उकसावों (Pakistani Provocations) के लिए सैन्य बल के साथ प्रतिक्रिया करने के लिए अतीत की तुलना में अधिक संभावना है।
प्रत्येक पक्ष की धारणा बढ़े हुए तनाव से संघर्ष का खतरा बढ़ जाता है, कश्मीर (Kashmir) में हिंसक अशांति या भारत में एक आतंकवादी हमला संभावित फ्लैशप्वाइंट हो सकता है।”
एक सवाल के जवाब में विदेश विभाग (State Department) के प्रवक्ता नेड प्राइस (Ned Price) ने कहा कि अमेरिका-पाकिस्तान आतंकवाद रोधी संवाद (US-Pakistan Counter-Terrorism Dialogue) आतंकवादी खतरों और हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए America को पाकिस्तान के साथ काम करने की अपनी इच्छा व्यक्त करने का मौका देता है।
बातचीत हमारी साझा प्रतिबद्धता के लिए एक वसीयतनामा: प्रवक्ता
विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा “क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरों का मुकाबला करने में हमारा साझा हित है। आतंकवाद से मुक्त एक स्थिर और सुरक्षित दक्षिण और मध्य एशिया (Central Asia) का लक्ष्य काफी हद तक पाकिस्तान (Pakistan) के साथ हमारी साझेदारी की ताकत पर निर्भर करता है।
बातचीत हमारी साझा प्रतिबद्धता के लिए एक वसीयतनामा है। एक लचीला सुरक्षा संबंध (Security Relationship) और क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता को खतरा पैदा करने वाले सभी आतंकवादी समूहों का मुकाबला करने के लिए हम एक साथ कदम उठा सकते हैं, इस पर स्पष्ट चर्चा का अवसर है।”
आतंकवाद विरोधी वार्ता के संदर्भ में चर्चा की: प्राइस
नेड प्राइस ने कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका (America) इन चुनौतियों (Challenges) से निपटने के लिए अपनी साझेदारी का विस्तार करना चाहता है।
कोई भी समूह जो क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता (Global Stability) के लिए खतरा है, निश्चित रूप से हमारे लिए चिंता का विषय है। यह कुछ ऐसा है जिस पर हमने इस आतंकवाद विरोधी वार्ता (Anti Terrorism Dialogue) के संदर्भ में चर्चा की।”
पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकियों का समर्थन करता
अमेरिकी राष्ट्रपति (US President) को सौंपी गई Report में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान (Pakistan) के साथ भारत (India) के रिश्ते चिंता का विषय हैं, हालांकि फ़िलहाल दोनों सीज़फ़ायर पर टिके हैं।
वैसे, Pakistan का इतिहास है कि वह भारत के खिलाफ आतंकियों (Terrorists) का समर्थन करता है, लेकिन भारत के PM नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में पहले से कहीं ज़्यादा संभव है कि भारत ऐसे किसी उकसावे का जवाब सैन्य तरीके से देगा।