गोड्डा : ECL (इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) की राजमहल-ललमटिया कोल परियोजना (Rajmahal-Lalmatia Coal Project) के लिए अधिग्रहित जमीन की माकिर्ंग के दौरान बेहद तनावपूर्ण स्थिति बन गई।
बुधवार को ECL और जिला प्रशासन के अफसरों के साथ सुरक्षा बलों के एक हजार से भी ज्यादा जवान तालझारी गांव पहुंचे तो हजारों की संख्या में ग्रामीण परंपरागत हथियारों, लाठी-डंडो के साथ जमा हो गए। वे जान देंगे, जमीन नहीं देंगे और पुलिस-प्रशासन (Police Administration) वापस जाओ के नारे लगाते रहे।
इनमें स्त्री, पुरुष, बच्चे शामिल हैं। इस बीच महगामा अनुमंडल प्रशासन (Mahagama Sub-Divisional Administration) ने तनाव को देखते हुए पूरे इलाके में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है।
विरोध के कारण अब तक शुरू नहीं हुआ कोयला खनन
ECL ने अपनी कोल परियोजना के विस्तार के लिए बीते पांच सालों के दौरान बोआरीजार प्रखंड (Boarijar Block) के तालझारी गांव की 125 एकड़ जमीन ECL की ओर से खदान विस्तार की प्रक्रिया शुरू करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन तालझारी के रैयतों सहित आसपास के गांवों के कड़े विरोध के कारण अब तक वहां कोयला खनन शुरू नहीं कराया जा सका है।
जमीन के सीमांकन की कोशिश के दौरान अब तक आधा दर्जन से भी अधिक बार ग्रामीणों और प्रशासन के बीच टकराव हो चुका है।
छह माह पूर्व तालझारी गांव (Taljhari Village) में वार्ता के लिए गए ECL के CMD को ग्रामीणों ने बंधक भी बना लिया था। बाद में जिला प्रशासन के हस्तक्षेप से उन्हें ग्रामीणों के चंगुल से सकुशल मुक्त कराया गया था।
फूट- फूट कर रोने लगे ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि वे जान दे देंगे, लेकिन अपनी जमीन नहीं देंगे। इस दौरान ग्रामीण (Villagers) फूट- फूट कर रोने लगे।
दूसरी तरफ ECL का दावा है कि यहां जिन रैयतों की जमीन अधिग्रहित की गई है, उन्हें अब तक 10 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा दिया गया है।
22 रैयतों को राजमहल परियोजना (Rajmahal Project) में नौकरी भी दी गई है। इसके बावजूद परियोजना के विस्तार का विरोध करना ठीक नहीं है।
क्षेत्र में भारी संख्याक सुरक्षा बलों की तैनाती
बुधवार को ECL की ओर से अधिग्रहित जमीन पर कब्जे के लिए जिला बल के अलावा IRB (इंडियन रिजर्व बटालियन), CISF (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) और रैपिड एक्श फोर्स के एक हजार से ज्यादा जवानों की तैनाती की गई है।
ECL की राजमहल परियोजना के जीएम आरसी महापात्रा और महगामा के एसडीओ-SDPO मौके पर मौजूद हैं।
दो पावर प्लांट को ECL नहीं कर पा रही कोयला आपूर्ति
बता दें कि ECL की राजमहल परियोजना के कोयले से एनटीपीसी के दो पावर प्लांट चलते हैं। कहलगांव और फरक्का प्लांट को अब मांग के अनुरूप ECL कोयला आपूर्ति नहीं कर पा रही है।
तालझारी में खनन शुरू होने पर ही राजमहल परियोजना का अस्तित्व बच पाएगा, लेकिन तालझारी के आदिवासी रैयत इस बात पर अड़े हैं कि वे इस जमीन पर काम शुरू नहीं होने देंगे।
यहां से उजड़े तो लगभग 200 परिवारों के समक्ष रोजी-रोटी का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा।