नई दिल्ली: ‘अनेकता में एकता’ को भारत की सबसे बड़ी विशेषता बताते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद (MM Group) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी (Maulana Mahmood Madani) ने रविवार को आरोप लगाया कि ‘कुछ ताकतें’ देश की ‘पहचान को मिटाना’ चाहती हैं, लेकिन उन्हें इसमें कामयाबी नहीं मिलेगी।
जमीयत की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि धार्मिक घृणा और साम्प्रदायिकता को देश से मिटाने और भारतीयता एवं मानवता की भावना की जीत के लिए आज जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Ulema-e-Hind) की विभिन्न इकाईयों की ओर से ‘सद्भावना संसद’ का आयोजन किया गया।
मुस्लिम संगठन ने दावा किया कि दिल्ली, चेन्नई और नागपुर समेत देश के करीब 100 शहरों में ‘सद्भावना संसद’ का आयोजन किया गया।
बयान के मुताबिक, मौलाना मदनी ने कहा, ‘‘भारत हमारी मातृभूमि है, इसके कण-कण से हमें स्वाभाविक प्रेम है। इस देश की सबसे बड़ी विशेषता अनेकता में एकता है।
यहां सदियों से विभिन्न सभ्यताओं और धर्मों के लोग मिलजुल कर रहते आए हैं। अंग्रेज जैसी दमनकारी सरकार भी हमारी इस विशेष पहचान को पूरी तरह से खत्म करने में विफल रही।’’
कार्यक्रमों में अलग-अलग धर्मों के प्रतिष्ठित लोगों ने भी शिरकत की
राज्यसभा के पूर्व सदस्य ने आरोप लगाया, ‘‘इन दिनों कुछ ताकतें इस मुल्क की पहचान को मिटाना चाहती हैं, लेकिन उनकी ताकत कितनी भी बड़ी क्यों न हो, वह भारत की सदियों पुरानी इस परंपरा को पराजित नहीं कर सकते।’’
मदनी ने दावा किया, ‘‘हमारा यह काफिला (goodwill parliament) दिलों को जोड़ने और उन नफरतों को मिटाने का काम करेगा जो मुट्ठीभर असामाजिक तत्वों ने दिलों में बोने की कोशिश की है।’’
विज्ञप्ति के मुताबिक, चेन्नई में आयोजित ‘सद्भावना संसद’ में कांचीपुरम मठ के शंकराचार्य के प्रतिनिधि विश्वानंद ने अपने जगद्गुरु विजेन्द्र सरस्वती की ओर से भेजे गए संदेश में कहा, ‘‘भारत में सभी धर्मों के लोग हाथ की पांच उंगलियों की तरह हैं और वह इसी प्रकार रहेंगे।’’
जमीयत की विज्ञप्ति के अनुसार, विश्वानंद ने कहा, ‘‘एकता, संकल्प और प्रार्थना, तीन ऐसे मंत्र हैं जो इस महान धरती और इसकी संतानों के लिए होते हैं, और निस्संदेह मुसलमान भी इसी भारत की संतान हैं।’’
विज्ञप्ति में बताया गया है कि ‘सद्भावना संसद’ के कार्यक्रमों में अलग-अलग धर्मों के प्रतिष्ठित लोगों ने भी शिरकत की।