रांची: राष्ट्रीय महिला आयोग (National Women Commission) ने नाबालिग (Minor) दुमका की बेटी को जिंदा जलाने पर अपनी Report पेश की है।
इसमें बताया गया है कि झारखंड पुलिस की ओर से पेश की गई आयु की रिपोर्ट में डायिंग डिक्लेयरेंशन (Dyeing Declaration) के समय गलतफहमी हो गई थी।
बता दें कि दुमका में नाबालिग (Minor) लड़की को शाहरुख और उसके दोस्त ने 23 अगस्त को पेट्रोल डाल कर जिंदा ही आग के हवाले कर दिया था।
कुछ दिनों तक जिंदगी की जंग लड़ने के बाद लड़की ने अस्पताल (Hospital) में दम तोड़ दिया था। दरअसल लड़की ने आरोपी (Accused) से फोन पर बातचीत करने से इनकार कर दिया था। इसी वजह से शाहरुख ने उसे उसके घर में सोते वक्त जिंदा जला दिया था।
दो सदस्यीय टीम का किया गया था गठन
इस मामले में झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को काफी आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा था। इस बीच राष्ट्रीय महिला आयोग ने दो सदस्यीय टीम का गठन किया था।
अपनी रिपोर्ट में NCW ने कहा कि आरोपी को बचाने के लिए पुलिस ने पीड़िता की उम्र बढ़ाई थी, ऐसा गलत है। उम्र को लेकर कन्फ्यूजन गलतफहमी की वजह से हुई थी।
लड़की की मौत (Death) के बाद इसकी घोषणा करते वक्त गलतफहमी हुई थी। महिला आयोग ने बताया कि मीडिया रिपोट्र्स में लड़की के 90 फीसदी तक जल जाने की बात कही जा रही थी।
संबंधित अथॉरिटी से बातचीत के बाद इसको लेकर भी गलतफहमी दूर हुई है। फूलो झानो मेडिकल कॉलेज ने कहा था कि लड़की 90 फीसदी से कम जली है। जबकि RIMS के चिकित्सकों ने बताया कि लड़की 60-65 फीसदी तक जली थी।
नहीं दिया गया समुचित इलाज
आयोग ने अपनी जांच में यह भी पाया है कि इन दोनों ही अस्पतालों में गंभीर रूप से झुलसे लोगों के समुचित इलाज (Proper Treatment) की व्यवस्था का अभाव है।
अपनी रिपोर्ट में आयोग ने राज्य सरकार को सलाह दी है कि वो इन अस्पतालों में आधारभूत संरचनाओं के सुधार के लिए सिफारिश कर सकती है, ताकि ऐसे हालात में बेहतर चिकित्सतीय सुविधा (Medical Facility) मिल सके।
आयोग ने झारखंड सरकार से कहा है कि वो लोगों को जागरुक करने का प्रयास करे ताकि ऐसे मामलों में पुलिस तक समय रहते शिकायत (Complaint) पहुंच सके।