रांची: राज्य स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग ने झारखंड के सभी जिलों को मंकीपॉक्स (Monkeypox) संक्रमण से बचाव को लेकर अलर्ट जारी किया गया है।
ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन सोसाइटी के अभियान निदेशक ने सभी जिलों के सिविल सर्जन समेत आइडीएसपी विभाग के सर्विलेंस आफिसर को भी दिशा-निर्देश दिया है। साथ ही सतर्कता के बिंदुओं पर जानकारी साझा की है।
अभियान निदेशक ने बताया कि मंकी पॉक्स एक प्रकार के विषाणु से फैलना वाला रोग है, जो कि विश्व के कई देशों में देखा जा रहा है।
वर्तमान में मुख्य रूप से मंकी पॉक्स के मामले अफ्रिकन देशों से फैलकर यूरोप, यूनाइटेड किंगडम, आस्ट्रेलिया और कनाडा तक में पाये गये हैं।
विभिन्न देशों में इसके संभावित मिले है। इसके भारत में फैलने के खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
एनसीडीसी, एमओएचएफडब्लू, गोल ने 20 मार्च, 2020 को मंकी पॉक्स से जुड़ी हेल्थ एडवाइजरी जारी की है।
इसमें बताया गया है कि अंतरराष्ट्रीय यात्रियों में अगर मंकी पॉक्स के संदिग्ध मिलते है, तो उनके सैंपल को पुणे के आइसीएमआर-एनआइवी, बीएसएल-4 प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जायेगा।
जंगलों से इंसान में फैली बीमारी
मंकी पॉक्स चिड़ियाघरों और जंगलों से निकलकर आयी बीमारी है। इसे सबसे पहले बंदरों में पाया गया। इसके बाद चूहों के जरिए बीमारी का फैलाव इंसानों में हुआ है।
इसके लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, लींफोडेस में सूजन, थकान एवं सिहरन शामिल हैं। इसके बाद शरीर पर दाने होते है, जो फोफले और कस्ट बन जाते है। इसमें संक्रमण के पश्चात लक्षण उत्पन्न होने में सात से 14 दिन का समय लगता है।
इसमें लक्षणों की अवधि आमतौर पर दो से चार सप्ताह होती है। इसके दाने कभी-कभी चिकन पॉक्स के सामान होते है। यह उभरे हुए धब्बों के रूप में शुरू होते है, जो कि तरल पदार्थ से भरे छोटे-छोटे फफोले में बदल जाते है। ये फफोले अंततः पपड़ी बनते है, जो बाद में गिर जाते हैं।
अब तक कोई समुचित इलाज नहीं
मंकी पॉक्स का अब तक कोई भी समुचित इलाज नहीं है लेकिन रोग में लक्षण के अनुसार इलाज किया जा सकता है। यह बीमारी हल्की होती है और ज्यादातर लोग दो से चार सप्ताह में ठीक हो जाते हैं।
इस रोग के प्रति विशेष सतर्कता एवं जनसामान्य को इस रोग के प्रति जागरूक करना आवश्यक है, ताकि इसके संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
मंकी पॉक्स से बचाव
इससे बचाव के लिए विदेश से यात्रा कर आने वाले लोगों के संपर्क में न रहें। यदि बुखार के साथ शरीर पर चकत्ते पड़े, तो फौरन चिकित्सक से संपर्क करें। दूसरे किसी व्यक्ति का बिस्तर और कपड़ा इस्तेमाल न करें।