नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश के करोड़ों छोटे कारोबारियों (Businessmen) को बड़ा तोहफा दिया है।
कंपोजीशन स्कीम के तहत रजिस्टर्ड कारोबारियों को पिछले वित्तवर्ष का सालाना रिटर्न दाखिल करने में देरी पर लेट फीस नहीं देनी होगी। इन कारोबारियों को दो महीने की लीट फीस भरने से छूट दी गई है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने एक नोटिफिकेशन जारी कर बताया कि वित्तवर्ष 2021-22 का अंतिम सालाना रिटर्न GSTR-4 दाखिल करने में देरी करने पर मई और जून का विलंब शुल्क नहीं लिया जाएगा।
CBIC के अनुसार, कंपोजीशन स्कीम के तहत रजिस्टर्ड छोटे कारोबारी 1 मई से 30 जून तक कोई लीट फीस नहीं देंगे।
जीएसटीआर-4 सिर्फ कंपोजीशन स्कीम में शामिल छोटे कारोबारी ही दाखिल करते हैं।
कारोबारियों को महज 1 फीसदी GST भरना पड़ता है
GST कानून के तहत रिटर्न फॉर्म GSTR-4 भरने में देरी करने पर कारोबारियों को 50 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से लेट फीस देनी होती है।
जिन मामलों में कारोबारी पर टैक्स की देनदारी शून्य होती है, वहां अधिकतम 500 रुपये की लेट फीस दी जाती है।
अन्य सभी मामलों में अधिकतम लेटी फीस 2,000 रुपये होती है। फिलहाल नया आदेश आने के बाद मई और जून के लिए इस लेट फीस से छूट रहेगी।
GST कंपोजीशन स्कीम उन कारोबारियों के लिए होती है, जिनका सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये से कम रहता है। पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए टर्नओवर की यह सीमा 75 लाख रुपये होती है।
इस योजना के तहत कारोबारियों को महज 1 फीसदी GST भरना पड़ता है। हालांकि, रेस्तरां मालिकों के लिए यह सीमा 5 फीसदी है, जबकि अन्य सेवा प्रदाताओं को कंपोजीशन स्कीम में भी 6 फीसदी जीएसटी भरना पड़ता है।
जीएसटी कंप्लायंस से जुड़े नियमों को मानने के लिए प्रोत्साहित भी होंगे
GST कंपोजीशन स्कीम अपनाने के लिए सामान्य कारोबारियों को जहां 1.5 करोड़ की लिमिट दी गई है, वहीं पूर्वोत्तर और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों के कारोबारियों के लिए यह लिमिट 75 लाख रुपये है। हालांकि, सेवा क्षेत्र से जुड़े कारोबारियों को महज 50 लाख की लिमिट दी गई है।
अगर कोई कारोबारी सामान्य बिजनेस के साथ सेवा से जुड़ा कारोबार भी करता है, तो उसे सेवा क्षेत्र से मिली कुल राशि का 10 फीसदी अपने अन्य कारोबार में शामिल कर कंपोजीशन स्कीम का लाभ उठाने की छूट मिलेगी।
AMRG एंड Associates के सीनियर पार्टनर रजत मोहन का कहना है कि सरकार की ओर से GSTR-4 दाखिल करने में होने वाली देरी पर लेट फीस खत्म किया जाना स्वागत योग्य कदम है।
इससे छोटे कारोबारियों को बड़ी सहूलियत होगी और वे जीएसटी कंप्लायंस से जुड़े नियमों को मानने के लिए प्रोत्साहित भी होंगे।