रांची: छोटानागपुर के ऐतिहासिक रातू किले (Historic Ratu Fort) में लगने वाले रथयात्रा का अपना ही खास महत्व है।
रथ यात्रा (Rath Yatra) के दिन हजारों भक्तों यहां शामिल होंगे। इस वर्ष बड़े ही धूमधाम से एक जुलाई को रातू किले में रथयात्रा का आयोजन होगा। इस वर्ष राज्य सरकार ने सारी पाबंदी हटा ली है।
आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि में रथ मेला का आयोजन होता है। इस वर्ष लोगों में रथ मेला को लेकर अभी से ही खास उत्साह देखने को मिल रहा है।
लकड़ी से बने भगवान के रथ को विशेष रूप से सजाया जाता है। पारंपरिक वाद्य यंत्र (traditional musical instrument) से पूरा वातावरण इस दिन गूंज उठता है।
सुरक्षा के किए गए हैं कड़े इंतजाम
भक्त मंदिर में पूजा -अर्चना करने के बाद रथ को स्पर्श कर आशीर्वाद लेते हैं। बच्चों के लिए मेला में झूला और खिलौना आकर्षण का केंद्र होता है। कई लोग व्यवसाय (Business) भी करते हैं जिससे उनकी अच्छी खासी कमायी हो जाती है।
भगवान जगन्नाथ रथ पर सवार होकर नौ दिन के लिए मौसीबाड़ी जाते हैं, नौ दिन बाद ही मौसीबाड़ी से उनका आगमन मुख्य मंदिर में होता है।
रथयात्रा के दिन सुबह चार बजे से ही राजपुरोहित द्वारा विधि विधान पूर्वक पूजा-अर्चना कर मंदिर का मुख्य गेट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है।
भगवान जगन्नाथ, (Lord Jagannath) बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र की जयकारे से मंदिर परिसर गूंज उठता है। छोटकागढ़ के नाम से रातू किला की रथ यात्रा को जाना जाता है।
महाराज और युवराज की मृत्यु होने के बाद इस प्रथा को उनकी पुत्री और पुत्रवधू की ओर से आज भी जारी रखा गया है।
इसे लेकर रातू थाना प्रभारी आभास कुमार ने बताया कि रथ यात्रा के दौरान सुरक्षा (Security) के कड़े इंतजाम किए गए हैं। तैयारियां अंतिम चरण में है।