मुंबई: कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार (Abdul Sattar) में चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी दिए जाने की दोबारा जांच सिल्लोड पुलिस स्टेशन (Sillod Police Station) की टीम ने शुरू की है।
पुलिस को गहन जांच करके 60 दिनों के भीतर सिल्लोड मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट देनी है। टीचर्स इलिजिबिलिटी टेस्ट (Tet) मामले के बाद चुनावी हलफनामे की दोबारा जांच शुरू होने से अब्दुल सत्तार की मुश्किलें फिर बढ़ गई हैं।
सिल्लोड निवासी महेश शंकरपेली और पुणे निवासी Dr. Abhishek Haridas ने कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार और अन्य के खिलाफ चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी दिए जाने की शिकायत सिल्लोड मजिस्ट्रेट के यहां दर्ज कराई थी।
फिर से सिल्लोड पुलिस की टीम मामले की कर रही है जांच
इनका आरोप है कि हलफनामे में कृषि भूमि, गैर कृषि भूमि, वाणिज्यिक भवन, आवासीय भवन, शैक्षणिक योग्यता की गलत जानकारी दी गई है।
इस मामले में सिल्लोड कोर्ट ने पुलिस को CRPC 202 के तहत जांच के आदेश दिए थे। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने जांच करके रिपोर्ट भी सौंप दी लेकिन अभियोजन पक्ष ने पुलिस की रिपोर्ट को भी भ्रामक और गलत बताया।
इस पर सिल्लोड कोर्ट (Sillod court) ने पुलिस को दोबारा जांच करके 60 दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। इसके तहत फिर से सिल्लोड पुलिस की टीम मामले की जांच कर रही है।
अब्दुल सत्तार पर आरोप है कि उन्होंने नामांकन के दौरान चुनावी हलफनामे में मौजे दहीगांव की कृषि भूमि का मूल्य 2019 में 2,76,250 हजार और 2014 में 5,06,000 हजार दिखाया था।
भवन की कीमत वर्ष 2019 में 1,65,000 हजार व 2014 में 16,53,000 हजार रुपये दिखाई गई
सिल्लोड सर्वे नंबर 90/2 कमर्शियल बिल्डिंग (Commercial building) की कीमत 2019 में 28,500 और 2014 में 46,000 दिखाई गई है। सिल्लोड सर्वे नंबर 90/2 में स्थित पत्नी के नाम व्यवसायिक भवन की कीमत वर्ष 2014 में 18,55,500 रुपये और 2019 में 1,70,000 रुपये बताई गई।
इसी तरह सिल्लोड में एक अन्य प्रापर्टी की कीमत 2019 में 10,000 और 2014 में 42,66,000 हजार लिखी गई है।
यह भी आरोप है कि सर्वे संख्या 364 में पत्नी के नाम आवासीय भवन की कीमत वर्ष 2019 में 1,65,000 हजार व 2014 में 16,53,000 हजार रुपये दिखाई गई।
अब्दुल सत्तार पर 2019 और 2014 के चुनाव में अपनी शैक्षणिक जानकारी (Academic information) अलग-अलग दिए जाने का भी आरोप है। इसलिए, उनके खिलाफ CRPC की धारा 200, आईपीसी की धारा 199, 200, 420 और 34 के साथ-साथ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 के तहत एक याचिका दायर की गई थी।
इसी याचिका के आधार पर मजिस्ट्रेट कोर्ट (Magistrates Court) ने अब्दुल सत्तार के चुनावी हलफनामे की गहन छानबीन का आदेश पुलिस को दिया है और पुलिस फिर से जांच कर रही है।