नई दिल्ली: ग्रहणियों के के लिए खुशखबरी है खाद्य तोलों पर मंहगाई की मार कम हो गई है।
दरअसल, विदेशी बाजारों की निर्यात मांग के कारण देशभर के तेल-तिलहन (Oilseeds) बाजारों में बीते सप्ताह मूंगफली तेल-तिलहन की कीमतों में सुधार आया।
वहीं, गर्मियों की वजह से स्थानीय मांग कमजोर होने से बाकी सभी तेल-तिलहनों की थोक कीमतों में गिरावट दर्ज हुई।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि मूंगफली तेल की निर्यात मांग होने से बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मूंगफली तेल-तिलहन के भाव में पर्याप्त सुधार आया।
सूत्रों ने बताया कि विदेशों में मूंगफली तेल की मांग होने की वजह से निर्यातक गुजरात (Gujarat) में मूंगफली तेल 160 रुपये प्रति किलो के भाव खरीद कर रहे हैं।
खुदरा कंपनियों को 152 रुपये लीटर हो रही आपूर्ति
इस निर्यात मांग के कारण मूंगफली तेल-तिलहन के भाव मजबूत हुए। लेकिन स्थानीय मांग कमजोर होने से बाकी खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में नरमी दर्ज हुई।
सूत्रों ने दावा किया कि खाद्य तेल-तिलहनों के थोक भाव में गिरावट आई है। यह पूछे जाने पर अगर गिरावट आई है, तो आम उपभोक्ताओं को 190-210 रुपये लीटर या उससे अधिक कीमत पर सरसों तेल क्यों मिल रहा है, सूत्रों ने कहा कि यह वास्तविकता है कि थोक भाव कम हुए हैं।
थोक विक्रेता (Wholesaler) आगे आपूर्ति करने के लिए खुदरा कंपनियों को 152 रुपये लीटर (अधिभार सहित) के हिसाब से आपूर्ति कर रहे हैं।
खाद्य तेल के एक प्रमुख ब्रांड ने शनिवार को 152 रुपये लीटर के भाव बिक्री की है, लेकिन खुदरा कंपनियां यदि इस कीमत में मनमानी वृद्धि कर रही हैं, तो सरकार को उसपर अंकुश लगाने के बारे में सोचना चाहिए।
छापेमारी से कुछ हासिल नहीं होगा, उल्टा इससे तेल कारोबार की आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि छापेमारी के बजाय केवल बाजार में घूम-घूम कर खुदरा विक्रेता कंपनियों के अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) की जांच की जाए, तो समस्या की जड़ में पहुंचा जा सकेगा।
लेकिन अगर खुदरा बिक्री कंपनियां एक सीमा से अधिक जाकर मनमाना पैसा वसूलने पर उतारू हो जायें, तो बढ़ती मुद्रास्फीति को संभालना मुश्किल होगा।
खुदरा में सरसों तेल अधिकतम 158-165 रुपये लीटर
सूत्रों ने कहा कि थोक बिक्री मूल्य के हिसाब से खुदरा में सरसों तेल (Mustard Oil) अधिकतम 158-165 रुपये लीटर तथा सोयाबीन तेल अधिकतम 170 से 172 रुपये लीटर मिलना चाहिए।
इस कीमत पर उपभोक्ताओं को खाद्य तेल आपूर्ति के लिए सरकार को यथासंभव प्रयास करना होगा। सूत्रों ने कहा कि जिस मात्रा में सरसों का रिफाइंड बनाकर आयातित तेलों की कमी को पूरा किया जा रहा है, उससे आगे जाकर सरसों की भारी दिक्कत आयेगी, क्योंकि इसका कोई विकल्प नहीं है।
कम से कम खुद का तेल मिल (Oil Mill) संचालन करने वाली सहकारी संस्था हाफेड को पर्याप्त मात्रा में सरसों का स्टॉक बनाने को लेकर गंभीर होना पड़ेगा।
सूत्रों ने कहा कि पिछले साल के आयातित तेलों के दाम से देशी तेल (बिनौला, सरसों, मूंगफली आदि) लगभग 10-25 रुपये लीटर नीचे हैं और इसलिए इन तेलों का भंडारण किये जाने का कोई औचित्य नहीं है।
जो तेल मिलें खुदरा कारोबार के लिए टैंकरों में तेल, सस्ते दाम पर बगैर मार्जिन के भरती हैं, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के साथ अन्य शुल्कों का समय पर भुगतान कर रही हों, उनके उपर छापेमारी से कोई नतीजा नहीं निकलेगा। थोक भाव के मुकाबले खुदरा भाव की निगरानी किये जाने की आवश्यकता है।
सरसों दाने का भाव 100 रुपये हुआ कम
सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 100 रुपये टूटकर 7,415-7,465 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सरसों दादरी तेल 200 रुपये टूटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 14,850 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 30-30 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 2,335-2,415 रुपये और 2,375-2,485 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।
सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने (Soybean Grains) और सोयाबीन लूज के थोक भाव क्रमश: 225-225 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 6,800-6,900 रुपये और 6,500-6,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।