नई दिल्ली: कोई भी देश अपना व्यापारिक संबंध (Trade Relations) दूसरे देश से अपने नफा-नुकसान के आधार पर ही तय करता है।
अच्छी व्यावसायिक स्थिति वह कही जाती है, जिसमें आयात-निर्यात का संतुलन बना रहे।
व्यापार घाटा बढ़ने पर व्यावसायिक स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती है।
यह सही है कि भारत रूस (Russia) से भारी मात्रा में तेल का आयात कर रहा है, क्योंकि वहां उसे रियायती दर पर मिल रहा है, इसलिए स्वाभाविक है कि भारत वहां से आयात करेगा।
वास्तविकता यह है कि सस्ता तेल खरीदने की वजह से भारत का Russia के साथ व्यापार तो बढ़ा है, लेकिन यह भारत के पक्ष में नहीं है।
आर्थिक आकलन (Economic Assessment) के अनुसार, रूस के साथ भारत का व्यापार घाटा सात गुना बढ़कर 34.79 अरब Dollar हो गया है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि दो देशों के बीच ट्रेड डील (Trade Deal) आमतौर पर डॉलर में होती है। ऐसे में ज्यादा व्यापार घाटा किसी भी देश की अर्थव्यवस्था (Economy) को प्रभावित करता है।
सबसे ज्यादा व्यापार घाटा चीन के साथ
रिपोर्ट के मुताबिक, कच्चे तेल के लिए रूस पर बढ़ती निर्भरता के कारण भारत का रूस के साथ व्यापार घाटा दूसरे स्थान पर पहुंच गया है।
भारत का सबसे ज्यादा व्यापार घाटा चीन के साथ है। डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स डेटा (Department of Commerce Data) के मुताबिक, अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 के बीच भारत का चीन के साथ सबसे ज्यादा 71.58 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ।
रूस के साथ भारत का व्यापार घाटा 34.79 अरब डॉलर का रहा।